आशीष डंगवाल का जीवन परिचय, कौन है आशीष डंगवाल ,आशीष डंगवाल की कहानी । Ashish Dangwal Biography , Who is Ashish Dangwal in Hindi ,Ashish Dangwal Life Story
आशीष डंगवाल एक ऐसा नाम है जिनकी चर्चा हर कोई करता है. है. कौन है ये शख्स जिसने उत्तराखंड और हिमाचल सहित पूरे पहाड़ के बच्चों और युवाओं में अलग ही उम्मीद जगा दी है?
आपको बता दें कि सोशल मीडिया पर उत्तराखंड के एक शिक्षक आशीष डंगवाल अक्सर चर्चा में बने रहते हैं. उनके स्वभाव, काम करने के तरीके से छात्र-छात्राएं और अभिभावक ही बल्कि पूरा सोसियल मीडिया उन्हें ढेर सारा प्यार देता है.
आज के इस ब्लॉग में हम आशीष डंगवाल की जिंदगी से जुड़े हुए हर वो पहलु को जानेंगे जिनसे होकर वो गुजरे है और आज इस मुकाम पर खड़े है जहां शायद आज के जमाने के नौजवान जाने की सोच भी नहीं सकते है.
आईये जानते है कौन है आशीष डंगवाल और विदेश की नौकरी ठुकरा कर पहाड़ के सरकारी स्कूल में गरीब बच्चो का सहारा बनने तक का उनका सफर –
आशीष डंगवाल का जीवन परिचय
नाम ( name) | आशीष डंगवाल |
प्रसिद्दि (Famous For ) | राजकीय इंटर कॉलेज गरखेत ,टिहरी गढ़वाल में राजनीति विज्ञान के शिक्षक |
जन्म तारीख (Date of birth) | 24 जुलाई 1992 |
उम्र( Age) | 30 साल (साल 2022 में ) |
जन्म स्थान (Place of born ) | श्रीकोट गांव , रुद्रप्रयाग ,उत्तराखंड |
शिक्षा (Education ) | आपदा प्रबंधन और मानव विज्ञान में डिप्लोमा राजनीति विज्ञान में मास्टर की डिग्री |
स्कूल (School ) | प्राथमिक विद्यालय श्रीकोट |
कॉलेज (Collage ) | डी ए वी पी जी कॉलेज देहरादून |
गृहनगर (Hometown) | श्रीकोट गांव , रुद्रप्रयाग ,उत्तराखंड |
नागरिकता(Nationality) | भारतीय |
धर्म (Religion) | हिन्दू धर्म |
पेशा (Occupation) | शिक्षक |
वजन (Weight ) | 67 किग्रा |
आँखों का रंग (Eye Color) | काला |
बालो का रंग (Hair Color ) | काला |
वैवाहिक स्थिति (Marital Status) | अवैवाहिक |
कौन है आशीष डंगवाल –
आशीष वर्तमान समय मे राजकीय इंटर कॉलेज गरखेत टिहरी गढ़वाल उत्तराखण्ड में राजनीति विज्ञान के शिक्षक हैं। आशीष डंगवाल उत्तराखंड ही नही बल्कि भारत के इकलौते ऐसे शिक्षक है, जिनकी लोकप्रियता को देखते हुए साल 2019 में फेसबुक ने भी उन्हें सेलिब्रिटी का ब्लू टिक दिया है।
पिछले वर्ष एक इंडो-अफ्रीकन अंतरराष्ट्रीय संगठन की ओर से आशीष को अपने साथ काम करने का ऑफर दिया गया था लेकिन पहाड़ के बच्चों को ऊंची उड़ान देने के लिए इस युवा शिक्षक ने विदेश से मिल रही भारी भरकम सैलरी पैकेज की नौकरी को ठुकरा दिया।
आईये जानते है आशीष डंगवाल से जुड़े हुए कई रोचक बातों के बारे में।
आशीष डंगवाल का जन्म एवं शुरुआती जीवन –
आशीष डंगवाल का जन्म दिनांक 24 जुलाई 1992 को उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जनपद के ग्राम श्रीको भरदार में हुआ था. वो एक बेहद ही सामान्य परिवार से आते हैं।
उनके पिता का नाम घनश्याम डंगवाल एवं मां का नाम नीता देवी है जोकि एक ग्रहणी है.आशीष के घर में 2 भाई बहन है जिनमे आशीष सबसे बड़े है।
आशीष बचपन से एक शिक्षक नहीं बल्कि फिल्मो के अभिनेता बनना चाहते थे लेकिन उनकी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था और आज वह एक सरकारी स्कूल के शिक्षक की पोस्ट पर तैनात है .
आशीष डंगवाल शिक्षा –
आशीष डंगवाल शुरुआती स्कूल की पढाई प्राथमिक विद्यालय श्रीकोट स्कूल से प्राप्त की उसके बाद उन्होंने आगे की पढाई के लिए डी ए वी पी जी कॉलेज देहरादून में दाखिला लिया जहां से उन्होंने अपनी स्नातक की डिग्री हासिल की।
आशीष डंगवाल का परिवार –
पिता का नाम | घनश्याम डंगवाल |
माता का नाम | नीता देवी |
भाई (Brother ) | आशीष (बड़ा ) |
आशीष डंगवाल का शुरुआती सफर –
आशीष जब अपनी किशोरावस्था की तरफ बढ़ रहे थे तो पृथक राज्य उत्तराखण्ड के लिए पहाड़ में जबरदस्त आंदोलन चल रहा था इस घटना ने उस पहाड़ी राज्य के छोटे से अबोध बच्चे के मन मे कई सवाल उपजा दिए । बाद में 2010 में वे उच्च शिक्षा के लिए देहरादून चले।
साइंस बैकग्राउंड के छात्र रहे आशीष इंजीनियरिंग की तैयारी में जुट गए किंतु वहां मन न लगा और आर्ट्स विषयों की तरफ बढ़ गए और डीएवी कॉलेज से अपना स्नातक पूरा किया।
आशीष बचपन के उन सवालों में उलझा तो था पर अपने कैरियर और परिवार के लिए भी चिंतित था। उन्होंने इस बीच एक निजीकोचिंग संस्थान में पढ़ाना शुरू कर दिया। किंतु जल्द ही 2016 में मात्र 24 वर्ष की उम्र में सरकारी शिक्षक के रूप में चयन हुआ तो पहली तैनाती उत्तरकाशी के बेहद दुर्गम क्षेत्र केलसु स्कूल मे मिली जो सड़क से काफी दूर पैदल पहाड़ी पर स्थित है।
इस क्षेत्र में मे पूरी मेहनत के साथ बच्चों की शिक्षा के लिए काम किया साथ ही पूरे क्षेत्र के गांवों के हर दुख दर्द में शामिल होने लगे। आशीष ने सरकारी स्कूलों के ग्राउंड फेल्योर और सम्सस्याओं को करीब से समझा और जुट गए हल ढूंढने में। अनोखे तौर तरीकों और उनके अलग ही अंदाज ने जल्द ही उन्हें बच्चे बच्चे के दिलों में जगह में पहुंचा दिया।
2019 में उनका चयन प्रवक्ता परीक्षा के लिए हो गया उन्हींने इस परीक्षा में राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त किया और उनका ट्रांसफर आदेश अन्य विद्यालय के लिए आ गया उनके ट्रांसफर से पूरे स्कूल के बच्चों की सहित पूरे इलाके के गांवों के महिलाओं बुर्गर्गों युवाओं की आँखेँ आसुंओ से भर दिया।
इस घटना से आशीष दुनिया की नजरों में आ गए और आशीष के कामों का जिक्र कई राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय मीडिया में चर्चा का विषय बन गया। वर्तमान में वे टिहरी गढ़वाल के राइका गरखेत में पोस्टेड हैं।
आशीष डंगवाल की शादी ,पत्नी –
आशीष अभी अविवाहित हैं पर कहा जा रहा कि वे जल्द ही अपनी बचपन की दोस्त से शादी करने वाले हैं इंस्टाग्राम पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार उनका नाम प्रेरणा Prerna है जो कि पेशे से एक भौतिकविद हैं।
विदेश की नौकरी ठुकरा कर स्कूल में गरीब बच्चो का सहारा बनने तक का सफर –
प्राकृतिक सुंदरता, मौसम और स्थानीय संस्कृति सभी को पहाड़ों से प्यार हो जाता है।
इतना ही नहीं। सरल और मिलनसार लोग भी एक कारण है कि लोग शहरों की हलचल को छोड़कर पहाड़ियों में जाकर बसना चाहते हैं।
जो कोई भी पहाड़ियों और पहाड़ों की यात्रा करता है, वह जानता है कि अजनबियों के लिए ग्रामीणों का स्वागत करना कितना अच्छा हो सकता है। एक बार में आप उनके दोस्त, उनके परिवार बन जाते है.
और इसका एक उदाहरण हाल ही में उत्तरकाशी के भनकोली गांव में देखने को मिला.
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में असी गंगा घाटी स्थित राजकीय इंटर कॉलेज भंकोली में तैनात रहे एक स्कूल शिक्षक को गांव वालों ने जिस तरह से गर्मजोशी से विदाई दी, उसकी कहानी निश्चित रूप से आपकी आंखों में आंसू ला देगी।

रुद्रप्रयाग जिले के श्रीकोट गांव निवासी 27 वर्षीय आशीष डंगवाल को वर्ष 2016 में राइंका भंकोली में सामाजिक विज्ञान के एलटी शिक्षक के तौर पर पहली नियुक्ति मिली थी। अब उनका ट्रांसफर टिहरी के राइंका गरखेत में हो गया है।
सरकारी स्कूल के शिक्षक आशीष डंगवाल को विदाई देने के लिए ग्रामीणों ने ढोल-नगाड़ों के साथ पूरा जुलूस निकाला.

जुलूस में न केवल स्कूली छात्र और शिक्षक थे, बल्कि गांव के बुजुर्ग भी थे। यानी उन्हें अलविदा कहने के लिए पूरा गांव वहां मौजूद था।
उत्तरकाशी की केरसू घाटी के सात गांवों के ग्रामीणों और बच्चों को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उनका पसंदीदा शिक्षक जा रहा है.

उनकी विदाई के दिन उत्तरकाशी की केरसु घाटी के सात गांवों के ग्रामीण और बच्चे आंखों में आंसू और हाथों में ढोल लिए उनके स्कूल के पास जमा हो गए. उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि उनके शिक्षक, जिन्हें वे “अपने परिवार का सदस्य” मानते थे, जा रहे हैं।
डंगवाल उत्तरकाशी के बांखोली गांव के शासकीय इंटर कॉलेज में दिसंबर 2017 से इस साल 21 अगस्त तक सहायक शिक्षक थे। स्कूल में सात गांवों के करीब 200 बच्चे पढ़ते हैं।

लेकिन जिस दिन उन्होंने पढ़ाना शुरू किया, उन्होंने केवल स्कूल में शिक्षा के स्तर में सुधार करने की कोशिश की और उनके प्रयासों की सभी ने सराहना की। तीन साल गांव के सरकारी स्कूल में सेवा देने के बाद अब उनका तबादला कर दिया गया है.
उसके तबादले की जानकारी होने पर ग्रामीणों ने उससे कहा था कि वे उसके लिए एक विदाई का आयोजन करना चाहेंगे, जिस पर वह सहमत हो गया लेकिन एक शर्त रखी कि “यह एक छोटा सा समारोह होना चाहिए।”

ग्रामीणों ने भी ढोल बजाकर उसे गांव में उसके आवास तक पहुंचाया।
Ashish shared some pictures of his farewell on his Facebook account and wrote,
‘मेरी प्यारी #केलसु #घाटी, आपके प्यार, आपके लगाव ,आपके सम्मान, आपके अपनेपन के आगे, मेरे हर एक शब्द फीके हैं । सरकारी आदेश के सामने मेरी मजबूरी थी मुझे यहां से जाना पड़ा ,मुझे इस बात का बहुत दुख है !’
आशीष ने भनकोली, नौगांव, Agoda, दंडालका, शेकू, गजोली, धसरा गांवों के ग्रामीणों को इतना प्यार देने के लिए धन्यवाद दिया और वादा किया कि वह उनसे मिलने आएंगे।
स्कूल में अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए डंगवाल ने कहा कि उनके लिए एडजस्ट करना आसान नहीं था लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने इसे मैनेज कर लिया।
वह उन कुछ शिक्षकों में से एक थे जिन्होंने उस गाँव में रहने का फैसला किया जहाँ स्कूल स्थित था। अन्यथा अधिकांश शिक्षक गाँव से दूर अधिक आरामदायक स्थानों पर रहते है और यही बात गावों के लोगो के दिल को छू गई।
आशीष डंगवाल की उपलब्धियाँ –
आईये डालते है आशीष डंगवाल कीउपलब्धियों पर एक नजर –
1 . स्माइलिंग प्रोजेक्ट से चर्चाओं में आए थे आशीष–
युवा शिक्षक आशीष ने राजकीय इंटर कॉलेज गरखेत टिहरी गढ़वाल के बच्चों के साथ मिलकर प्रोजेक्ट – स्माइलिंग को तैयार किया है।

प्रोजेक्ट स्माइलिंग स्कूल के सम्बन्ध में आशीष डंगवाल का कहना है कि अब तक जो सरकारी विद्यालयों में संसाधनों के अभाव के चलते नीरसता व्याप्त थी उसे प्रोजेक्ट स्माइलिंग स्कूल के माध्यम से दूर किया जाने का प्रयास किया जा रहा हैं।
प्रोजेक्ट स्माइलिंग स्कूल का एक मात्र उद्देश्य सरकारी विद्यालयों में संसाधनों को पूर्ति कर बच्चों को प्राइवेट स्कूलों की ही तरह आगे बढ़ने में सहायता करना है। जर्जर होते सरकारी विद्यालयों के परिसर और उसकी दीवारों पर कई प्रकार की ज्ञानवर्धक कहानियों को चित्रण के माध्यम से दर्शाया गया है।

जो की स्कूल की पूरी दीवारों को बदल कर एक – मोटिवेशनल और एजुकेशन 3d आर्ट्स पेंटिग्स के द्वारा बच्चों में क्रिएटिविटी की और एक सोच की गयी है जिसमें उत्तराखण्ड के लगभग सभी जिलों से नॉलेजफूल वाक्य चित्रों को दर्शाया गया है।

जैसे हाई कोर्ट नैनीताल, गैरसैण राजधानी भवन, केदारनाथ-बद्रीनाथ मंदिर, NIM, डोबरा चांटी पुल, चिपको आंदोलन, आईएएस अकादमी मसूरी अन्य कहीं चित्रों को दर्शाया गया है।
2 . 2019 में फेसबुक से मिला ब्लू टिक –
राजकीय इंटर कॉलेज गरखेत टिहरी गढ़वाल में तैनात राजनीति विज्ञान के शिक्षक आशीष डंगवाल उत्तराखंड के इकलौते ऐसे शिक्षक है, जिनकी लोकप्रियता को देखते हुए साल 2019 में फेसबुक ने भी उन्हें सेलिब्रिटी का नीला टिक दिया।

इंडो-अफ्रीकन अंतरराष्ट्रीय संगठन की ओर से आशीष को अपने साथ काम करने का ऑफर दिया गया। यह संगठन नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) के साथ भी जुड़ा है, लेकिन आशीष ने यह कहकर इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया कि वह अपना देश, अपना राज्य छोड़कर विदेश में नहीं बसना चाहते। आशीष का कहना है कि उन्होंने स्वयं भी सरकारी स्कूल से पढ़ाई की है। अब वह सरकारी स्कूल में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने में लगे हैं।
3 .सरकारी स्कूल को स्मार्ट स्कूल बनाने की कोशिश –
आशीष कहते हैं कि हम जिन अभाव में पढ़े, वह आगे की पीढ़ी को महसूस नहीं होना चाहिए। इसलिए मैं कम संसाधनों में नए प्रयोग करके बच्चों के लिए सरकारी स्कूल को स्मार्ट स्कूल बनाना चाहता हूं।
समाज के सक्षम लोगों को अपने साथ जोड़कर वह स्कूल के विकास में उनकी भी सहभागिता बढ़ा रहे हैं। बताया कि कोरोना के चलते उनकी बहुत सी योजनाएं रुकी हुई है, लेकिन हालात सामान्य होते ही वह उन पर तेजी से काम करेंगे।
4. भारती प्रोजेक्ट पर उनका काम –
आशीष ने बताया कि हाईस्कूल और इंटर तक बेटियों की शिक्षा का स्तर अच्छा है। हर साल हाईस्कूल, इंटर की परीक्षाओं में बेटियों के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की खबरें हम पढ़ते हैं, लेकिन इसके बाद उच्च शिक्षा में उनकी उपस्थिति बहुत कम नजर आती है।
इसके पीछे कई वजह हैं, या तो उन्हें परिवार का सहयोग नहीं मिलता या फिर घर की आर्थिक स्थिति के कारण वह आगे नहीं बढ़ पाती। आशीष ने कहा कि अभी वह इस पर ज्यादा जानकारी नहीं दे सकेंगे, लेकिन भारती प्रोजेक्ट पहाड़ की उन बेटियों को उड़ान देगा जो कुछ करना चाहती है.
आशीष इतने प्रसिद्ध क्यों हैं –
1. वे किसी भी शैक्षिक समस्या या अपने इनोवेशन को एक दीर्घकालिक टाइम टेबल में सैट कर उसे प्रोजेक्ट का नाम देकर उस पर काम करते हैं। प्रोजेक्ट स्माइलिंग स्कूल, गत , साइंसकारी ,भारती, जय हिंद आदि उनके कुछ अनोखे प्रोजेक्ट्स हैं।
2. आशीष स्कूल के अलावा निशुल्क प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी करवाते हैं।
3. कई बड़े ngo की मदद से वे अब तक कई बच्चों को गोद ले चुके हैं जिनकी उच्च शिक्षा हेतु मार्गदर्शन और सहायता मुहैया करवाते हैं।
4. एक बड़े अंतराष्ट्रीय NGO द्वारा जब उन्हें विदेश में बड़े सैलरी पैकेज के लिहे उन्हें ऑफर किया गया तो उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा दिया था।
5. बालिकाओं के उच्च शिक्षा में देश की प्रतिष्ठित विवि में प्रवेश हेतु वे इस समय प्रोजेक्ट भारती पर काम कर रहे हैं। जिसके दो चरण पूरे हो गए हैं और उसके अच्छे नतीजे निकले हैं।
6- इसके अलावा आशीष देश परदेस की कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में गेस्ट लेक्चर और मोटिवेशनल गोष्ठियों में भी शामिल रहते हैं।
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अंतिम कुछ शब्द –
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