स्वामी सत्यप्रकाश जी महाराज का जीवन परिचय ( Swami Satyaprakash Ji Maharaj Biography in Hindi )
स्वामी सत्यप्रकाश जी महाराज एक आध्यात्मिक गुरु, प्रेरक वक्ता, गायक, लेखक व योगी है.स्वामी सत्यप्रकाश जी ने कम उम्र में ही संगीत, योग सीख लिया। अभी वर्तमान में भारत के अलग अलग राज्यों में सत्संग- प्रवचन व धार्मिक आयोजन करते हैं।
उनके भजनो, प्रवचनों से लाखो लोग प्रभावित हुवे हैं। आज स्वामी सत्यप्रकाश जी को काफ़ी लोग पसंद करते हैं। उनकी सत्संग, कथा सुनने हजारों की तादात में भक्त जन आते हैं। और अपने जीवन को धन्य बनाते हैं।
सोशल मिडिया पर भी उन्हें चाहने वालों की संख्या हजारों में हैं। वे खुद भी सोशल मिडिया पर बहुत सक्रिय रहते हैं।

स्वामी सत्यप्रकाश जी महाराज का जीवन परिचय
नाम (Birth Name ) | स्वामी सत्यप्रकाश जी महाराज |
जन्मदिन (Birthday) | 2 फरवरी 1996 |
उम्र (Age ) | 26 वर्ष (2022 के अनुसार) |
जन्म स्थान (Birth Place) | नागौर |
नागरिकता (Citizenship) | भारतीय |
आंखो का रंग (Eye Color) | काला |
बालों का रंग (Hair Colour) | काला |
धर्म (Religion) | सनातन हिंदू धर्म |
जाति (Cast ) | ब्राह्मण |
वर्तमान आवास (Current Place ) | जोधपुर राजस्थान |
पेशा (Occupation) | आध्यात्मिक गुरु, प्रेरक वक्ता, गायक, लेखक व योगी |
वैवाहिक स्थिति (Marital Status) | अविवाहित (संन्यासी) |
स्वामी सत्यप्रकाश जी महाराज का जन्म एवं शुरुआती जीवन –
स्वामी सत्यप्रकाश जी महाराज का जन्म 2 फरवरी 1996 को भारत के राजस्थान राज्य के नागौर ज़िले में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री दल्लाराम एवं माँ का नाम श्रीमती झनकारी देवी है।
आज के इस कलिकाल कलयुग में जहां हर कोई व्यक्ति अपने शौक, मौज मस्ती तथा अपने बाल-बच्चों व परिवार के लिये व भौतिक, आधुनिक दुनिया में जीते हैं, ऐसी उम्र में क्या करना चाहिए वो किसी को पता नहीं होता हैं, लेकिन स्वामी सत्यप्रकाश जी ने मात्र 7 साल की उम्र में घर परिवार का त्याग कर संत बन गये और भगवान की भक्ति व जन कल्याण में लग गये।
इतनी छोटी सी उम्र में भक्ति में लग जाना अद्भुत हैं। बताते हैं की स्वामी सत्यप्रकाश जी बचपन से ही भगवान की भक्ति में मन था, व भजन, कीर्तन व भगवान की कथा सुनना पसंद करते थे, और धार्मिक कहानिया सुनना व पुस्तके पढ़ने में गहन रूचि थी।

आस पास जहां कहीं कथा, सत्संग हो तो वहाँ पर चले जाते थे। भगवान श्री कृष्ण में अटूट श्रद्धा रखते थे व स्वामी विवेकानंद को अपना आदर्श मानते थे।
स्वामी सत्यप्रकाश जी महाराज की शिक्षा –
स्वामी जी का बचपन से पढ़ाई में मन था। प्रारम्भिक शिक्षा गाँव में की, आज वो संस्कृत में शास्त्री व आचार्य कर रहे हैं।स्वामी सत्यप्रकाश के गुरु का नाम संत श्री राजारामजी व श्री कृपारामजी महाराज है जिनक पदचिन्हो पर वे चलते है.
*स्वामी सत्यप्रकाश के उद्देश्य:-
- धर्म का प्रचार प्रसार करना व लोगों को भक्ति से जोड़ना
- युवा पीढ़ी में शिक्षा व संस्कारों की नई जाग्रति व नारी सशक्तिकरण।
•शाकाहार का प्रचार करना व नशे जैसी कुरूतियों को मिटाना।
- गौ माता व पर्यावरण की रक्षा करना…
- दीन दुःखियों की मदद करना तथा गरीब, अनाथ बच्चों को शिक्षा दिलाना।
स्वामी सत्यप्रकाश जी महाराज के प्रेरक विचार –
- “तन से टूटा हुआ व्यक्ति पहाड़ जैसी चुनौतीयों से भी पार हो जाता हैं, लेकिन मन से टूटा हुआ, हारा हुआ व्यक्ति कभी पार नहीं हो सकता”
- आत्मविश्वास सबसे बड़ा बल होता हैं…
- “आप कुछ अच्छा कर रहे हो तब दुनिया क्या कह रही हैं, कोई निंदा आलोचना कर रहा हैं, यह सब मत सोचिये, मौन रहो और अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहो”
- “पौधे को अच्छी खाद, पानी व सहारा मिल जाये तो वो बड़ा पेड़ बन जाता हैं।इसी प्रकार जीवन रूपी पौधे में सत्तकर्म रूपी खाद, प्रेम रूपी पानी व सत्संग रूपी सहारा मिल जाये तो जीवन महान बन जाता हैं”
- “जिस राष्ट्र की संस्कृति, संस्कार, सभ्यता व परम्पराओं की रक्षा नहीं होती, उस राष्ट्र का पतन निश्चित हो जाता हैं”
- “रिश्तों के ताले को क्रोध के हथोड़े से नहीं प्रेम की चाबी से खोलें, क्यूंकि चाबी से खुला ताला बार-बार काम आता हैं, और हथोड़े से खुला हुआ ताला एक ही बार”
- “मधुर वचन से पराये भी अपने हो जाते हैं, और कड़वे वचन से अपने भी पराये हो जाते हैं, मीठी वाणी बोलकर सबसे रिश्ते बनाये रखें ”
- “किसी में अगर कोई बुराई हैं तो उसकी बुराई को मत देखिये, उसमें अच्छाई क्या हैं वो हमें जीवन में उतारना हैं, और खुद की बुराई को दूर करना हैं”
- “शरीर से कोई सुंदर नहीं होता हैं, जिसके अच्छे कर्म, पवित्र चरित्र, मधुर वाणी, सच्चा व्यवहार, सदगुण व मर्यादित संस्कार हो वो व्यक्ति सबसे सुंदर हैं”
- “परेशानियां हमारी जिंदगी का हिस्सा हैं,जिसने अपनी परेशानी पर कदम रखा वो जीत गया और जिसने परेशानी को सर पर सवार किया वो टूट गया… संघर्ष ही जीवन हैं।”
- “जो व्यक्ति अपने जीवन में संघर्ष करता हैं, मुसीबतों, कठिनाइयों व विपरीत परिस्थितियों का धैर्य पूर्वक सामना कर अपने लक्ष्य को पाने के लिये निरंतर प्रयास करता रहता हैं…वही जीवन में सफल होता हैं।”
- “समय व शब्दों का उपयोग सही होना चाहिए, क्यूंकि ये दोनों ना दोबारा आते हैं ना मौका देते हैं”
- “ईश्वर का अस्तित्व उस ऑक्सीजन की तरह हैं, जो दिखाई नहीं देता, पर उसके बिना जीवन का कोई अस्तित्व नहीं”
- “प्रत्येक सुबह हमको यह संदेश देती हैं की हमारे जीवन का लक्ष्य अभी अधूरा हैं”
- “जिंदगी में कभी हार न मानने की आदत ही एक दीन जितने की आदत बन जाती हैं”
- “जिंदगी में ख़ुशी से संतुष्टि मिलती हैं, संतुष्टि से ख़ुशी मिलती हैं, लेकिन फर्क बहुत बड़ा हैं, ख़ुशी थोड़े समय के लिए संतुष्टि देती हैं, और संतुष्टि हमेशा के लिये ख़ुशी देती हैं”
- “अगर जिद हो जीवन में कुछ करने की और जीत की, तो कष्ट या घाव मायने नहीं रखते, जो घिसता हैं वही चमकता हैं”
- “सत्संग तपते मन को शांति देती हैं, भटके हूए मन को सही दिशा दिखाती हैं, जीवन उज्ज्वल व पवित्र बनाती हैं”
- “कल से करेंगे” ये शब्द आपको जिंदगी में कभी आगे नहीं बढ़ने देगा”
- “जीवन में सब कुछ हासिल कर लो, लेकिन शांति व सुकून अध्यात्म में ही हैं”
FAQ –
स्वामी सत्यप्रकाश कौन हैँ?
स्वामी सत्यप्रकाश एक सुप्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु, प्रेरक वक्ता, गायक, योगी व लेखक हैँ।
स्वामी सत्यप्रकाश का जन्म कब हुआ?
स्वामी सत्यप्रकाश का जन्म 2 फ़रवरी 1996, विक्रम संवत 2052 को हुआ
स्वामी सत्यप्रकाश क्या करते हैँ?
स्वामी सत्यप्रकाश धार्मिक सत्संग प्रवचन व जनजागृति के कार्यक्रम करते हैँ.
स्वामी सत्यप्रकाश ने संन्यास कब लिया?
स्वामी सत्यप्रकाश ने मात्र 7 वर्ष की आयु में संन्यास लिया
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अंतिम कुछ शब्द –
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