मिल्खा सिंह आज तक भारत के सबसे प्रसिद्ध और सम्मानित धावक में से एक थे.ओलंपिक स्प्रिंटर मिल्खा सिंह का 91 वर्ष की आयु में COVID-19 . से निधन हो गया

। इन्होने टोक्यो के 1964 ग्रीष्म ओलंपिक और रोम के 1960 ग्रीष्म ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया था। उनको लोग “फ्लाइंग सिख” के नाम से बुलाते था। 1960 के रोम ओलंपिक खेलों में उन्होंने पूर्व ओलंपिक कीर्तिमान को तोडा लेकिन पदक से वंचित रह गए। इस दौड़ के दौरान उन्होंने ऐसा राष्ट्रिय कीर्तिमान स्थापित किया जो लगभग 40 साल बाद जाकर टूटा।

मिल्खा सिंह  जन्म, उम्र,परिवार एवं परिचय ( Birth , age,Introduction )

Table of Contents

नाम Nameमिल्खा सिंह
चालू नाम Nicknameफ्लाइंग सिख
जन्म तारीख Date of Birth  20 नवम्बर 1929
मृत्यु तारीख Date of Death 18 जून 2021
उम्र Age91 वर्ष
जन्म स्थान Birth Placeगोविंदपुरा, पंजाब, ब्रिटिश भारत
नागरिकता Nationalityभारतीय
धर्म Religionहिन्दू
लंबाई Height5 फ़ीट 83 इंच
वजन Weight70 kg
आँखों का रंग Eye Colorगहरा भूरा
बालो का रंग Hair Colorकाला
व्यवसाय professionएथलीट, स्प्रिंटर, आर्मी ऑफिसर ,लेखक
वैवाहिक स्थिति Marital Statusवैवाहिक

मिल्खा सिंह का शुरुआती जीवन( Milkha Singh  Early Life )

उन्होंने अपने कई भाई-बहनो को बचपन में ही खो दिया था । जब भारत का विभाजन हुआ तो दंगों में मिल्खा जी ने अपने माँ-बाप और भाई-बहन खो दिया।

बाद में वे शरणार्थी बन के पाकिस्तान से दिल्ली आए। दिल्ली में वह अपनी बहन के घर पर रहे।

ऐसे भयानक हादसे होने के बाद उनके ह्रदय पर गहरा प्रभाव पड़ा था। उनके भाई मलखान ने सलाह दी की वे सेना में भर्ती हो जाये। 3 बार भर्ती में असफल होने के बाद चौथी कोशिश में सन 1951 में सेना में भर्ती हो गए।

भर्ती के वक़्त क्रॉस-कंट्री रेस में छठे स्थान पर आये थे इसलिए सेना ने उन्हें खेलकूद में स्पेशल ट्रेनिंग के लिए चुना था।

मिल्खा सिंह का परिवार ( Milkha Singh Family)

मिल्खा सिंह का जन्म सिख राठौर परिवार में 20 नवम्बर 1929 को भारत के पंजाब में हुआ था उस समय भारत अविभाजित था । वे 15 भाई बहन थे.

इन्होने भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय हुए दंगों में अपने माता-पिता को खो दिया था | वह भारत ट्रैन से आए थे.

जो पाकिस्तान के शरणार्थियों को  भारत लाई थी | भारत में परिवार के नाम पर उनके बड़े भाई बहन थे जिन्होंने मिल्खा जी की सहायता की | 12 साल की उम्र में मिल्खा सिंह पाकिस्तान से भारत 1947 में आए थे |

 मिल्खा सिंह की पत्नी ( Milkha Singh Wife)

मिल्खा सिंह ने निर्मल कौर से सन 1962 में विवाह किया जो भारतीय महिला वॉलीबॉल के पूर्व कप्तान थी । साल 1955 में कौर से उनकी मुलाकात श्री लंका में हुई थी।

इनकेएक बेटा औरतीन बेटियां है। इनका बेटा जीव मिल्खा सिंह एक मशहूर गोल्फ खिलाडी है।

इनकेएक बेटा और तीन बेटियां है। इनका बेटा जीव मिल्खा सिंह एक मशहूर गोल्फ खिलाडी है। मिल्खा ने शहीद

साल 1999 में इन्होने हवलदार बिक्रम सिंह के सात वर्षीय पुत्र को गोद ले लिया था। मिल्खा सम्प्रति में चंडीगढ़ शहर में रहते हैं।

इनके बेटे को लोग जीव मिल्खा सिंह के नाम से जानते है जिनका असली नाम चिरंजीव मिल्खा सिंह है |

मिल्खा सिंह का करियर ( Milkha Singh Career )

उन्होंने सन 1956 के मेर्लबोन्न ओलिंपिक खेलों में 200 और 400 मीटर में भारत की तरफ से हिस्सा लिया था पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनुभव न होने के कारण असफल हो गए थे चार्ल्स जेंकिंस जो 400 मीटर प्रतियोगिता के विजेता थे उनके साथ हुई मुलाकात ने उन्हें प्रेरित किया था और साथ ही साथ बल्कि ट्रेनिंग के नए तरीकों को भी सिखाया था ।

200 मी और 400 मी प्रतियोगिता जो साल 1958 में कटक में हो रही थी उन्होंने उसमे हिस्सा लिया और राष्ट्रिय कीर्तिमान स्थापित किया और एशियन खेलों में भी इन दोनों प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक हासिल किया।

साल 1958 में ब्रिटिश राष्ट्रमंडल खेलों में 400 मीटर प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल करने में उन्हें महत्वपूर्ण सफलता मिली ।

राष्ट्रमंडल खेलों के व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले मिल्खा सिंह भारत के पहले खिलाडी बन गए।

मिल्खा सिंह की मूवी ( Milkha Singh Movie )

इनकी जिंदगी की कहानी को फिल्म “भाग मिल्खा भाग” में दिखाया गया था, इस फिल्म का निर्देशन राकेश ओमप्रकाश द्वारा किया गया है ,

इस फिल्म अभिनेता फरहान अख्तर तथा सोनम कपूर ने मुख्य किरदार की भूमिका अदा की थी।

अपने जीवन पर फिल्म बनाने की इजाजत क्यों दी जब मिल्खा सिंह से यह सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अच्छी फिल्में युवाओं के लिए एक प्रेरणा होती हैं और उन्होंने यह भी कहा की वह खुद भी फिल्म देखेंगे कि उनके जीवन की घटनाओं को सही तरीके से फिल्म में दिखाया गया भी है या नहीं।

वह युवाओं को यह फिल्म दिखा कर उन्हें एथलेटिक्स में भारत की तरफ से शामिल होने के लिए प्रेरित करना चाहते थे, जिससे भारत को विश्व स्तर पर पदक जीतकर उन्हें फक्र महसूस हो सके।

मिल्खा सिंह ओलम्पिक (Milkha Singh Olympics )

रोम ओलिंपिक खेल शुरू होने से कुछ साल पहले से ही मिल्खा अपने खेल जीवन के सबसे अचे फॉर्म में चल रहे थे और ऐसा माना जा रहा था की इन खेलों में भारत को मिल्खा सवर्ण पदक जरूर दिलाएंगे ।

रोम खेलों से कुछ समय पहले मिल्खा ने फ्रांस में 45.8 सेकंड्स का रिकॉर्ड भी बनाया था।

400 में दौड़ में मिल्खा ने पूर्व ओलिंपिक रिकॉर्ड तोड़ने के बाद भी वे पर चौथे स्थान के साथ पदक जीतने में असफल रह गए थे ।

250 मीटर की दूरी तक दौड़ में सबसे आगे रहने वाले मिल्खा से एक बहुत बड़ी गलती हो गयी जिसका पछतावा उन्हें आज तक था ।

250 मीटर की दौड़ में उन्हें लगा की वो अपनी स्पीड को कायम नहीं रख पाएंगे और वे पीछे मुड़कर अपने प्रतिद्वंदियों को देखने लगे जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा और इन्हे स्वर्ण पदक की उम्मीद थी और इनकी एक गलती की वजह से कांस्य पदक भी नहीं मिला ।

मिल्खा को आज तक उस बात का मलाल था । इस असफलता से सिंह इतने दुखी हुए कि उन्होंने दौड़ से संन्यास लेने के बारे में सोचा लिया था पर बहुत समझाने के बाद वो मैदान में फिर से वापस आगये ।

उन्होंने 1962 के जकार्ता में आयोजित हो रहे एशियन खेलों में 400 मीटर रिले दौड़ में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया ।

उन्होंने 1964 के टोक्यो ओलिंपिक खेलों में भाग लिया और उन्हें तीन स्पर्धाओं में भाग लेने के लिए चुना गया पर फाइनल दौड़ के लिए क्वालीफाई भी नहीं कर पाये ।

भारतीय धावक परमजीत सिंह ने मिल्खा द्वारा रोम ओलिंपिक में स्थापित राष्ट्रिय कीर्तिमान को साल 1998 में तोड़ा।

मिल्खा सिंह वर्ल्ड रिकॉर्ड (Milkha Singh World Record )

फिल्म के एक दृश्य में मिल्खा को 1956 के ओलंपिक में हार के बाद राष्ट्रीय कोच से पूछते हुए दिखाया गया है कि 400 मीटर में विश्व रिकॉर्ड क्या था।

फिल्म बाद में मिल्खा को 1960 के ओलंपिक से पहले के अपने एक अभ्यास में 45.8 सेकंड का समय रिकॉर्ड करते हुए दिखाती है, इस प्रकार अनौपचारिक रूप से विश्व रिकॉर्ड को ‘तोड़’ देती है।

मिल्खा सिंह रिकॉर्ड (Milkha Singh Record )

  • साल 1958 के एशियाई खेलों की 200 मीटर रेस में प्रथम स्थान हासिल किया था.
  • साल1958 के एशियाई खेलों की 400 मीटर रेस में प्रथम स्थान हासिल किया था.
  • साल 1958 में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों की 440 गज रेस में प्रथम स्थान हासिल किया था.
  • 400 मीटर में वर्ष 1962 के एशियाई खेलों की 400 मीटर रेस में प्रथम स्थान हासिल किया था.
  • साल 1962 के एशियाई खेलों की 4*400 रिले रेस में प्रथम स्थान हासिल किया था.
  • साल 1964 के कलकत्ता राष्ट्रीय खेलों की 400 मीटर रेस में दूसरा स्थान हासिल किया था.

मिल्खा सिंह 100मी रिकॉर्ड (Milkha Singh 100m Record)

100 मीटर धावक के रूप में खलीक ने शुरुआती बढ़त हासिल कर ली थी । हालाँक लंबी दूरी तक दौड़ने के आदि हो चुके मिल्खा की ताकत उनकी सहनशक्ति थी ।

उन्होंने खलीकको 150 गज के बाद पछाड़ दिया और लगभग सात गज की दौड़ जीत ली। दौड़ में 20.7 का समय एक नया विश्व रिकॉर्ड था।

दौड़ के बाद, जनरल अयूब (तत्कालीन पाकिस्तान के राष्ट्रपति) उनके पास आए और उनको माला पहनाई। उसने मिल्खा से कहा: ‘मिल्खा तुम भागे नहीं, उड़ गए’।

यह खबर पूरी दुनिया में चली गई और तभी से मिल्खा सिंह को  फ्लाइंग सिख कहा जाने लगा।

मिल्खा सिंह 400मी रिकॉर्ड (Milkha Singh 400m Record)

हवलदार गुरदेव सिंह उस निर्णय के पीछे व्यक्ति थे। जब मिल्खा ने शुरुआत की थी, तो उन्हें यह भी नहीं पता था कि दौड़ में 100, 200,400और 800 मीटर की दौड़ क्या होती हैं क्योंकि उनके वहां ऐसी दौड़ नहीं होती थी। और उन्होंने राष्ट्रीय खेलों, एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों या ओलंपिक के बारे में नहीं सुना था।

1952 में एक दिन, गुरदेव जी ने पचास लोगों को लाइन में खड़ा किया और कहा कि 400 मीटर दौड़ लगानी है। मतलब कि सभी को एक बार ट्रैक का चक्कर लगाना होगा।

साल 1956 में ऑस्ट्रेलिया में हुए ओलिंपिक खेलो में 200 एवं 400 मीटर की दौड़ में भारत का प्रतिनिधित्व किया लेकिन अंतर्राष्ट्रीयस्तर पर अनुभव न होने के कारण सफल नहीं हो पाए |

मिल्खा का नाम सुर्खियों में तब आया जब उन्होंने 400 मीटर की दौड़ 47.5 सेकंड में पूरी कर ली और एक नया रिकॉर्ड बनाया था उन्होंने 1957 में कटक में हुए राष्ट्रीय खेलो में 200 और 400 मीटर की दौड़ के भी रिकॉर्ड तोड़ दिए | 

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मिल्खा सिंह स्पीड (Milkha Singh Speed )

1960 के रोम ओलंपिक के 400 मीटर फाइनल में  मिल्खा ने 32 किमी / घंटा की स्पीड से दौड़ लगाई थी । 

1960 के ओलंपिक 400 मीटर फ़ाइनल में मिल्खा का समय, जो एक सिंगल ट्रैक पर चलाया गया था, ने एक राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया जो 1998 तक बना रहा जब परमजीत सिंह ने ट्रैक पर इसे पार कर लिया और पूरी तरह से स्वचालित समय के साथ 45.70 सेकंड दर्ज किया।

मिल्खा सिंह हॉलीडे (Milkha Singh Holiday)

, जिनकी खेल उपलब्धियों ने विभाजन के बाद टूटे हुए देश में खुशी की भावना ला दी, 1958 में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के बाद पूरे भारत में मनाया गया।

सम्मानित होने के बाद सिख अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर सके। दौड़ के बाद रानी द्वारा शीर्ष सम्मान के साथ, और इस क्षण को और भी खास बनाने के लिए, भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ‘फ्लाइंग सिख’ को मनाने के लिए भारत में एक राष्ट्रव्यापी सरकारी अवकाश की घोषणा की।

मिल्खा सिंह की मृत्यु (Milkha Singh Death )

ओलंपिक स्प्रिंटर मिल्खा जी का 91 वर्ष की आयु में कोरोना वायरस के कारण निधन हो गया
द फ्लाइंग सिख के रूप में जाना जाने वाला ट्रैक और फील्ड आइकन – जिसने 1960 के ओलंपिक में 400 मीटर की दौड़ में चौथा स्थान हासिल किया और 1958 के राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता, शुक्रवार की देर रात कोरोना वायरस की जटिलताओं के कारण मृत्यु हो गई।

 मिल्खा सिंह अवार्ड्स ( Milkha Singh Awards )

  • भारत सरकार द्वारा उन्हें साल 1959 में उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया !
  • 2001 में, मिल्खा जी ने प्रतिष्ठित “अर्जुन पुरस्कार” को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि ’40 साल बहुत देर हो चुकी है।’ 

मिल्खा सिंह के बारे में रोचक तथ्य (Interesting Fact About  Milkha Singh)

  • मिल्खा जी को साल 1958 के एशियाई खेलों में मिली सफलताओं के सम्मान में, उन्हें भारतीय सिपाही के पद से कनिष्ठ कमीशन अधिकारी के पद्द से नवाज़ा गया ।
  • बाद में ये पंजाब शिक्षा मंत्रालय में खेल निदेशक बने और वर्ष 1998 में इस पद से रिटायर हो गए ।
  • मिल्खा जी ने जीत में मिले सारे पदको को अपने देश को समर्पित किये थे ।
  • शुरू के दिनों में इनके सभी पदकों को नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में लोगो के प्रदर्शित किया गया था, लेकिन कुछ समय के बाद इन्हें पटियाला में एक खेल संग्रहालय में रखवा दिया गया।
  • मिल्खा जी ने जो जूते रोम के ओलंपिक खेलों में पहने थे उनको भी खेल संग्रहालय में प्रदर्शित कर रखा गया है।
  • साल 2012 में, राहुल बोस द्वारा आयोजित की गई एक चैरिटी नीलामी में इन्होने अपने साल1960 के दशक के फाइनल में पहने गए एडिडास जूते की जोड़ी को दान कर दिया था.

मिल्खा सिंह की कुल संपत्ति ( Milkha Singh Net Worth)

विकिपीडिया, फोर्ब्स, IMDb और विभिन्न ऑनलाइन संसाधनों के अनुसार, प्रसिद्ध धावक मिल्खा सिंह की कुल संपत्ति 91 वर्ष की आयु में $61 मिलियन है। उन्होंने एक पेशेवर धावक होने के नाते पैसा कमाया। 

अंतिम कुछ शब्द 

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