मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय, कहानियाँ, उपन्यास,  (Munshi Premchand Biography In Hindi, stories, award, eassy, books, jeevan parichay, kahani)

प्रेमचंद हिंदी के इतिहास में ऐसा पहला नाम जो बड़ो से ज्यादा बच्चो की जबानो पर याद रहता है। पैदा होने पर माँ की लोरी वाली कहानियाँ और थोड़े से बड़े होने पर मुंशी प्रेमचंद की कहानियाँ पढ़ना यह एक अलग ही समय होता है।

ऐसे ही कुछ मजेदार एवं जानकारी से भरी हुई आज की बायोग्राफी में हम इनके जीवन से जुडी हुई बहुत से बाते जानेंगे और यह भी समझेंगे की उन्होंने आज तक कौन कौन सी कहानियाँ , उपन्यास एवं साहित्य अपने जीवनकाल में लिखा है तो चलिए फिर शुरू करते है।

प्रेमचन्द की प्रारम्भिक शिक्षा
मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय|Munshi Premchand Biography in Hindi

Table of Contents

असली नाम (Real Name ) धनपत राय श्रीवास्तव
साहित्य इतिहास में नाम (Pen Name ) नवाब राय – उर्दू कहानियाँ लिखने की वजह से
मुंशी प्रेमचंद – हिंदी कहानियाँ लिखने की वजह से
निक नेम (Nick Name )उनके चाचा महाबीर ने उन्हें “नवाब” उपनाम दिया था, जो एक अमीर जमींदार थे।
प्रसिद्द (Famous for )भारत में सबसे महान उर्दू-हिंदी लेखकों में से एक होने के नाते
जन्म तारीख (Date of birth)31 जुलाई 1880
जन्म स्थान (Place of born )लमही, बनारस राज्य, ब्रिटिश भारत
गृहनगर (Hometown )वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत
मृत्यु तिथि (Date of Death )8 अक्टूबर 1936
मृत्यु का स्थान (Place of Death)वाराणसी, बनारस राज्य, ब्रिटिश भारत
मृत्यु का कारण (Death Cause)लंबे समय से चली आ रही शरीर की बीमारी
उम्र( Age)56 वर्ष (मृत्यु के समय )
शिक्षा (Education)अंग्रेजी साहित्य, फारसी और इतिहास में बीए
स्कूल  (School) क्वींस कॉलेज, बनारस (अब, वाराणसी)
सेंट्रल हिंदू कॉलेज, बनारस (अब, वाराणसी)
विश्वविद्यालय (University )इलाहाबाद विश्वविद्यालय
पेशा (Profession)  कथाकार , उपन्यासकार , नाटककार एवं कहानीकार
उपाधि (Title ) उपन्यास सम्राट
पहला उपन्यास (First Novel )देवस्थान रहस्य (असरार-ए-मआबिद) ,1903 में प्रकाशित
अंतिम उपन्यास ( Last Novel )मंगलसूत्र (पूरा नहीं कर पाए ) ,1936 में प्रकाशित
पहली कहानी (First Story )दुनिया का सबसे अनमोल रत्न (1907 में उर्दू पत्रिका ज़माना में प्रकाशित)
अंतिम कहानी (Last Story)क्रिकेट मिलान; उनकी मृत्यु के बाद 1938 में ज़माना में प्रकाशित हुआ
भाषा (Language)उर्दू एवं हिंदी
धर्म (Religion) हिन्दू
जाति (Caste )कायस्थ( ब्राह्मण और क्षत्रिय दोनों जातियों को धारण करने का अधिकार )
नागरिकता(Nationality)भारतीय
वैवाहिक स्थिति (Marital Status)  शादीशुदा
शादी की तारीख (Marriage Date )साल 1895 (पहली शादी)
साल 1906 (दूसरी शादी)

मुंशी प्रेमचंद का जन्म एवं शुरूआती जीवन (Munshi Premchand Birth & Early Life)

मुंशी प्रेमचंद का जन्म धनपत राय श्रीवास्तव के रूप में 31 जुलाई 1880 में वाराणसी  के पास स्थित एक गांव  लमही में पिता अजायब लाल एवं माँ आनंदी देवी के यहां अमीर परिवार में हुआ था।

प्रेमचंद के पिता अजायब लाल वही लमही गांव में डाकघर क्लर्क का काम करते थे और उनकी माँ एक ग्रहणी थी। प्रेमचंद अपने परिवार में चौथी संतान थे हालाँकि उनकी पहली दो बहनो का जन्म का समय ही निधन हो गया था और तीसरी बहन जिसका नाम आनंदी देवी था।

जब प्रेमचंद मात्र आठ साल के थे, तभी लंबी बीमारी के कारण उनकी माँ का स्वर्गवास हो गया था। उनकी माँ की मौत के बाद प्रेमचंद एवं उनकी बड़ी बहन की देखभाल उनकी दादी ने की हालाँकि दादी भी बाद इस दुनिया को छोड़ कर चली गई।

पुराने समय में लड़कियों की शादी कम उम्र में ही कर दी जाती थी जिसके परिणाम स्वरुप उनकी बहन भी जल्द ही शादी करके अपने ससुराल चली गई और अपनी माँ और बहन का साथ छूट जाने से प्रेमचंद अकेले पड़ गए और गुमसुम रहने लगे।

प्रेमचंद के पिता अपने काम में ज्यादा बिजी होने के कारण और प्रेमचंद की देखभाल पर ज्यादा ध्यान न दिए जाने के उन्होंने प्रेमचंद के खातिर दूसरी शादी कर ली ताकि उनको माँ की कमी महसूस ना हो लेकिन सौतेली माँ से उन्हें वह प्यार एवं दुलार नहीं मिल पाया जो उनकी अपनी माँ से मिल सकता था।

उनकी सौतेली माँ का प्यार प्रेमचंद की कहानियो एवं साहित्यो में पढ़ने को मिलता है प्रेमचंद ने अपनी किताबो में सौतेली माँ के व्यवहार के बारे में काफी कुछ लिखा है जिसे एक पढ़ने वाला वयक्ति बड़े आराम से समझ सकता है की अपनी माँ और सौतेली माँ में क्या फर्क होता है।

मुंशी प्रेमचंद की शिक्षा ( Munshi Premchand Education )

प्रेमचंद को बचपन से पढ़ने का बहुत शौक था जिसकी वजह से ही वो आगे जाके एक प्रसिद्द साहित्यकार एवं कहानी लेखक बने।

जब वह मात्र सात साल के थे तो अपने गांव लमही के पास एक मदरसे से अपनी पढाई शुरू की थी उन्होंने मदरसे के एक मौलवी से उर्दू और फ़ारसी सीखी ।

मात्र तेरह साल की उम्र में उन्होंने तिलिस्म-ए-होशरुबा पूरी पढ़ ली थी। तिलिस्म-ए-होशरुबा एक छोटी छोटी कहानियों की श्रंखला होती है जो बचपन में माँ अपने बच्चो को बचपन में सुनाया करती है हालाँकि उनकी माँ की मृत्यु के बाद उन्होंने तिलिस्म-ए-होशरुबा अपनी इस इच्छा को भी पूरी कर लिया था।

साल 1898 में उन्होंने क्वीन्स कॉलेज से मैट्रिक की परीक्षा सेकेंड डिवीजन से पास की। 1898 में मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद वे एक लोकल स्कूल में टीचर के रूप में नौकरी करने लग गए । नौकरी के साथ ही उन्होंने पढ़ाई जारी रखी।

साल 1910 में उन्होंने अंग्रेज़ी, दर्शन, फ़ारसी और इतिहास जैसे विषय लेकर इण्टर परीक्षा पास की और साल 1919 में अंग्रेजी, फ़ारसी और इतिहास जैसे विषयो के साथ अपनी बी. ए. की डिग्री हासिल की किया।

1919  में अपनी बी.ए. की डिग्री प्राप्त करने के बाद वे शिक्षा विभाग के इंस्पेक्टर पद पर नियुक्त हुए।साल 1921 में असहयोग आन्दोलन के दौरान महात्मा गाँधी के सरकारी नौकरी छोड़ने के आदेश पर प्रेमचंद ने स्कूल इंस्पेक्टर पद से 23 जून को रिजाइन दे दिया।

स्कूल इंस्पेक्टर पद छोड़ने के बाद वे लेखन के कार्य में उतर गए और उसके बाद तो अपने लेखन के काम से पूरे भारत में छा गए ।

मुंशी प्रेमचंद और उनका असली नाम

मुंशी प्रेमचंद एक भारतीय महान लेखक जिनको याद करके आज भी बहुत लोगो को अपना बचपन याद आ जाता है की कैसे हमने हामिद का चिमटा एवं गोदान जैसी बेहतरीन कहानियाँ पढ़कर अपना बचपन गुजारा है।

प्रेमचंद को अपने जीवनकल में ‘उपन्यास सम्राट’ की उपाधि प्राप्त हुई थी । उन्होंने अब तक कुल 15 उपन्यास, 300 से ज्यादा कहानियां, 3 नाटक, 10 अनुवाद, 7 बाल-पुस्तकें एवं हजारों पेज के लेख, सम्पादकीय, भाषण, भूमिका, पत्र आदि की रचना की।

शायद ही बच्चो के साथ साथ आज के युवा लोगो को पता है की मुंशी प्रेमचंद यह हमारे इस लेखक का असली नाम नहीं है ,जी हा एक दम सही कहा दरअसल मुंशी प्रेमचंद का असली नाम तो धनपत राय श्रीवास्तव है लेकिन यह बात लोगो को नहीं पता है।

उर्दू पत्रिका ज़माना के संपादक मुंशी दया नारायण निगम ने उन्हें अपने हिंदी साहित्य के लिए नए नाम “प्रेमचंद” की सलाह दी थी।

हमारे इस लेखक का नाम मुंशी प्रेमचंद तो उनके द्वारा लिखी गई हिंदी उपन्यास एवं हिंदी कहानियो के द्वारा पड़ा है इसके साथ साथ उनके एक और दूसरे नाम से भी जाना जाता है और वो दूसरा नाम उनके उर्दू में लिखी गई कहानियो एवं साहित्यो की वजह से पड़ा जो की है – नवाब राय।

मुंशी प्रेमचंद का परिवार ( Munshi Premchand Family )

पिता का नाम (Father)अजायब लाल ( डाकघर क्लर्क )
माँ का नाम (Mother )आनंदी देवी
बहन का नाम (Sister )आनंदी देवी एवं अन्य दो बहने (बचपन में मृत्यु )
पत्नी का नाम (Wife )पहली पत्नी: उसने 15 साल की अमीर जमींदार परिवार की लड़की से शादी
दूसरी पत्नी: शिवरानी देवी (बाल विधवा)
बच्चो के नाम (Children )बेटे – अमृत राय एवं श्रीपथ राय ( दूसरी पत्नी से )
बेटी- कमला देवी ( दूसरी पत्नी से )

मुंशी प्रेमचंद की शादी (Munshi Premchand Marriage)

मुंशी प्रेमचंद ने अपने जीवनकाल में दो शादियाँ की है जो की उस समय में किसी पुरुष के लिए अपने समाज में रहने वाले लोगो से महाभारत लड़ने जैसा है। उनका यह कदम एक बहुत ही हिम्मत वाला था।

प्रेमचंद की मृत्यु के एक बहुत ही प्रसिद्द लेखिका शिवरानी देवी ने उन पर एक पुस्तक लिखी, जिसका टाइटल था (“प्रेमचंद इन हाउस”) यानी की प्रेमचंद घर में।

मुंशी प्रेमचंद की पहली शादी (Munshi Premchand’s first marriage)

प्रेमचंद की नौवीं कक्षा में पढ़ते हुए, 15 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई थी। उनकी शादी की व्यवस्था उनके सौतेले दादा ने की थी। लड़की एक अमीर जमींदार परिवार से थी और प्रेमचंद से बड़ी थी, जो उसे झगड़ालू और दिखने में ज्यादा खूबसूरत भी नहीं लगती थी।

प्रेमचंद की अपनी सौतेली माँ और दूसरी उनकी झगड़ालू पत्नी की दिनभर की लड़ाइयों से झगड़ो से परेशान होकर  घरेलू परेशानी का सामना करना पड़ रहा था

प्रेमचंद ने गुस्से में अपनी पत्नी को डांटा, जब उसने फांसी लगाकर आत्महत्या करने की असफल कोशिश की। निराश होकर वह अपने पिता के घर गई और प्रेमचंद ने उसे वापस लाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। 

मुंशी प्रेमचंद की दूसरी शादी (Munshi Premchand’s second marriage )

munshi premchand real pics

साल 1906 में, प्रेमचंद ने एक बाल विधवा शिवरानी देवी से शादी की, जो फतेहपुर के पास एक गाँव के एक जमींदार की बेटी थी उस समय अपनी पहली पत्नी को छोड़कर दूसरी पत्नी वो भी जो पहले से शादीशुदा हो और ऊपर विधवा हो बहुत बड़ा और साहसिक कदम था। उनकी दूसरी शादी के कारण उनको समाज के लोगो के ताने सुनने पडते रहे थे।

मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्द कहानियाँ ( Munshi Premchand Famous Story )

सभी बच्चो ने अपना बचपन ये दो कहानियाँ पढ़कर तो गुजारा ही जिनके बारे में हमने नीचे एक लिंक के साथ थोड़ा सा कहानियों के बारे में दर्शाया है।

ईदगाह –

रमज़ान के पूरे तीस रोज़ के बाद आज ईद आई है। कितना मनोहर; कितना सुहावना प्रभात है। वृक्षों पर कुछ अजीब हरियाली है, खेतों में कुछ अजीब रौनक है, आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है। आगे पढ़े

दो बैलों की कथा

जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुध्दिहीन समझा जाता है। हम जब किसी आदमी को पहले दरजे का बेवकूफ कहना चाहते हैं तो उसे गधा कहते है। गधा सचमुच बेवकूफ है आगे पढ़े

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद का साहित्यिक जीवन:

मुंशी प्रेमचंद की प्रमुख कहानियों की सूची:-

1. आत्माराम

2. दो बैलों की कथा

3. आल्हा

4. इज्जत का खून

5. इस्तीफा

6. ईदगाह

7. कप्तान साहब

8. कर्मों का फल

9. क्रिकेट मैच

10. कवच

11. क़ातिल

12. कोई दुख न हो तो बकरी खरीद ला

13. गैरत की कटार

14. गुल्‍ली डण्डा

15. घमण्ड का पुतला

16. ज्‍योति

17. जेल

18. जुलूस

19. झांकी

20. ठाकुर का कुआं

21. त्रिया-चरित्र

22. तांगेवाले की बड़

23. दण्ड

24. दुर्गा का मन्दिर

25.पूस की रात

26. बड़े घर की बेटी

27. बड़े बाबू

28. बड़े भाई साहब

29. बन्द दरवाजा

30. बोहनी

31. मैकू

32. मन्त्र

33.सौत

34. नमक का दरोगा

35.सवा सेर गेहुँ 

36.कफ़न

37.पंच परमेश्वर

मुंशी प्रेमचंद के प्रमुख उपन्यासों की सूची:-

1.रूठी रानी

2.वरदान 

3. सेवा सदन

4. प्रेमाश्रम 

5. रंगभूमि 

6. निर्मला

7. प्रतिज्ञा

8. कर्मभूमि

9. गबन 

10. गोदान

11. मंगलसूत्र (अधूरा) जो कि बाद में उनके पुत्र ने पूरा किया था.

प्रेमचंद के नाटक

  • करबला
  • प्रेम की वेदी
  • संग्राम
  • रूहानी शायरी
  • तजुर्बा

प्रेमचंद के निबंध

  • कुछ विचार (दो भाग )
  • कलम त्याग और तलवार

प्रेमचंद द्वारा लिखी गई जीवनी

  • दुर्गादास
  • महात्मा शेखसादी (सादी की जीवनी)
  • निबंध
  • कलम त्याग और तलवार
  • कुछ विचार (दो भाग में)

प्रेमचंद द्वारा लिखी गई बच्चो की किताब

  • जंगल की कहानियाँ
  • मनमोदक
  • कुत्ते की कहानी
  • राम चर्चा

मुंशी प्रेमचंद की मृत्यु (Munshi Premchand Death )

बॉम्बे छोड़ने के बाद, प्रेमचंद इलाहाबाद में बसना चाहते थे , जहाँ उनके बेटे श्रीपत राय और अमृत कुमार राय पढ़ रहे थे। उन्होंने वहां से हंस को प्रकाशित करने की भी योजना बनाई । हालांकि, अपनी आर्थिक हालत और खराब स्वास्थ्य के कारण, उन्हें हंस को भारतीय साहित्य सलाहकार को सौंपना पड़ा और बनारस जाना पड़ा। 

प्रेमचंद 1936 में लखनऊ में प्रगतिशील लेखक संघ के पहले अध्यक्ष के रूप में चुने गए थे। कई दिनों की बीमारी के बाद और पद पर रहते हुए 8 अक्टूबर 1936 को उनका निधन हो गया।

मुंशी प्रेमचंद विरासत Munshi Premchand  Legacy )

  • प्रेमचंद को 31 जुलाई 1980 को भारतीय डाक द्वारा एक विशेष 30-पैसे का डाक टिकट जारी करके स्मरण किया गया 
  • लमही में प्रेमचंद के पुश्तैनी घर का मरम्मत राज्य सरकार कर रही है.  उनके काम का अध्ययन करने के लिए लमही में एक संस्थान भी स्थापित किया गया है।  मुंशी प्रेमचंद महाविद्यालय में सिलीगुड़ी उसके नाम कर दिया गया है।
  • 31 जुलाई 2016 को, Google ने प्रेमचंद के 136वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में Google Doodle दिखाया

FAQ

प्रेमचंद की मृत्यु कब हुई थी ?

प्रेमचंद की मृत्यु 8 अक्टूबर 1936 को हुई थी।

प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानी कौन सी है ?

प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानी दो बैलों की कथा थी।

मुंशी प्रेमचंद की सबसे छोटी कहानी कौन सी है ?

मुंशी प्रेमचंद की सबसे छोटी कहानी में बंद दरवाजा ,राष्ट्र का सेवक ,देवी ,कश्मीरी सेब ,बाबाजी का भोग ,यह भी नशा, वह भी नशा ,गुरु मंत्र जादू शामिल है।

प्रेमचंद कौन थे लेखक का प्रेमचंद के बारे में क्या विश्वास है ?

मुंशी प्रेमचंद एक भारतीय महान लेखक जिनको याद करके आज भी बहुत लोगो को अपना बचपन याद आ जाता है की कैसे हमने हामिद का चिमटा , दो बैलों की कथा एवं गोदान जैसी बेहतरीन कहानियाँ पढ़कर अपना बचपन गुजारा है।

प्रेमचंद की कहानियों का संकलन मानसरोवर कितने खंड है ?

प्रेमचंद की कहानियों का संकलन मानसरोवर में आठ खंड है जिसमे 100 से ज्यादा कहानियाँ शामिल है।

प्रेमचंद अपने घर में कौन सी विधा है ?

प्रेमचंद अपने घर  में’ साहित्य में ‘संस्मरण’ गद्य विधा की रचना है।

प्रेमचंद की बाल साहित्य रचना कौन सी है ?

प्रेमचंद की बाल साहित्य रचना मनमोदक , बाल कहानियाँ सम्पूर्ण एवं राम चर्चा है

मुंशी प्रेमचंद जी ने 1934 में एक हिन्दी फिल्म में एक छोटा सा रोल निभाया था उस फिल्म का नाम क्या था ?

मुंशी प्रेमचंद जी ने 1934 में एक हिन्दी फिल्म में एक छोटा सा रोल निभाया था उस फिल्म का नाम मिल (मजदूर) था।

मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित एकमात्र हिंदी फिल्म कौन सी थी ?

मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित एकमात्र हिंदी साल 1934 में रिलीज हुई मिल (मजदूर) था. फिल्म की कहानी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई थी और इस फिल्म में मुंशी प्रेमचंद ने छोटी सी भूमिका भी निभाई थी.

मुंशी प्रेमचंद जी ने कौन से उपन्यास में स्त्रियों के आभूषण प्रेम के दुष्परिणामों का चित्रण किया है ?

मुंशी प्रेमचंद जी ने गोदान उपन्यास में स्त्रियों के आभूषण प्रेम के दुष्परिणामों का चित्रण किया है

प्रेमचंद का नाम मुंशी कैसे पड़ा ?

 ‘हंस’ नाम का पत्र प्रेमचंद एवं ‘कन्हैयालाल मुंशी’ के सह संपादन मे निकलता था। कन्हैयालाल मुंशी’ अपना नाम सिर्फ मुंशी’ लिखते थे जिसके अंत में कुछ ऐसा लिखा होता था

संपादक
मुंशी, प्रेमचंद

बस पढ़ने वालो ने उन्हें मुंशी प्रेमचंद समझ लिया और बन गए वह प्रेमचंद से मुंशी प्रेमचंद।

रचना काल के शुरुआत में प्रेमचंद का उपनाम क्या था ?

रचना काल के शुरुआत में प्रेमचंद का उपनाम नवाब था जो उनके चाचा महाबीर ने उन्हें दिया था, जो एक अमीर जमींदार थे।

प्रेमचंद द्वारा रचित नाटक कौन सा है ?

प्रेमचंद द्वारा रचित नाटक करबला ,प्रेम की वेदी ,संग्राम ,रूहानी शायरी एवं तजुर्बा है।

मुंशी जी द्वारा रचित नाटक कौन कौन से हैं ?

प्रेमचंद द्वारा रचित नाटक करबला ,प्रेम की वेदी ,संग्राम ,रूहानी शायरी एवं तजुर्बा है।

प्रेमचंद जी की पत्नी का नाम क्या है ?

प्रेमचंद जी की पत्नी का नाम शिवरानी देवी था एवं यह उनकी दूसरी पत्नी थी।

मुंशी प्रेमचंद की कितनी पत्नियां थी ?

मुंशी प्रेमचंद की दो पत्नियां थी और दूसरी पत्नी का शिवरानी देवी था।

प्रेमचंद की पत्नी पर शिवरानी देवी ने उनकी जीवनी लिखी थी उस जीवनी का नाम क्या था ?

प्रेमचंद की पत्नी शिवरानी देवी ने उनकी जीवनी लिखी थी उस जीवनी का नाम बूढ़ी काकी था.

प्रेमचंद का अंतिम उपन्यास अधूरा है उसका नाम क्या है ?

प्रेमचंद के अंतिम अधूरे उपन्यास का नाम मंगलसूत्र’ है।

मुंशी प्रेमचंद का जन्म स्थान कहाँ हुआ है ?

मुंशी प्रेमचंद का जन्म धनपत राय श्रीवास्तव के रूप में 31 जुलाई 1880 में वाराणसी  के पास स्थित एक गांव  लमही में हुआ था।

मुंशी प्रेमचंद ने जैनेन्द्र को भारत का क्या कहकर महिमामडित किया है ?

मुंशी प्रेमचंद ने जैनेन्द्र को भारत का गोर्की कहकर  महिमामडित किया था।

प्रेमचंद की मृत्यु कब और कैसे हुई ?

शरीर लंबी बीमारियों के चलते प्रेमचंद की 8 अक्टूबर 1936 को मृत्यु हुई थी।

प्रेमचंद का कौन सा उपन्यास टीवी धारावाहिक बनकर लोकप्रिय हुआ ?

प्रेमचंद का निर्मला उपन्यास पर टीवी धारावाहिक भी निर्मला  बनकर लोकप्रिय हुआ।

प्रेमचंद को उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित करने वाले महान व्यक्ति कौन थे ?

बंगाल के विख्यात उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने प्रेमचंद को उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित किया था।

प्रेमचंद का असली नाम क्या था ?

प्रेमचंद का असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था।

उर्दू में प्रेमचंद का नाम क्या था ?

उर्दू में प्रेमचंद का नाम नवाब राय था।

हिंदी में प्रेमचंद के बाद सबसे महत्वपूर्ण कथाकार कौन है ?

हिंदी में प्रेमचंद के बाद सबसे महत्वपूर्ण कथाकार बंकिम बाबू एवं शरतचंद्र थे।

मुंशी प्रेमचंद जी की पत्नी का नाम क्या है जो एक बाल विधवा थी उसके साथ प्रेमचंद जी ने विवाह किया था ?

मुंशी प्रेमचंद जी की पत्नी का नाम शिवरानी देवी था जो एक बाल विधवा थी उसके साथ प्रेमचंद जी ने विवाह किया था।

प्रेमचंद का एकमात्र ऐतिहासिक उपन्यास का नाम क्या है ?

प्रेमचंद का एकमात्र ऐतिहासिक उपन्यास का नाम रूठी रानी है।

मुंशी प्रेमचंद की जाति क्या है ?

मुंशी प्रेमचंद की जाति कायस्थ ( ब्राह्मण और क्षत्रिय दोनों जातियों को धारण करने का अधिकार ) है।

मुंशी प्रेमचंद का धर्म क्या है ?

मुंशी प्रेमचंद का धर्म हिन्दू था हालाँकि उन्हें उर्दू भाषा की अच्छी जानकारी थी।

यह भी जानें :-

अंतिम कुछ शब्द –

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