रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय ,पहली कविता , पत्नी का नाम ,रचनाएं ,देहांत ,अंतिम काव्य, बचपन का नाम ,कविताओं का संग्रह(Ramdhari Singh Dinkar Biography , Death in Hindi )
हिंदी कविता की क्रांति की दुनिया में रामधारी सिंह दिनकर का योगदान आधुनिक समय के महानतम कवियों में से एक है, उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।
एक हिंदी कवि, देशभक्त और संसद सदस्य, रामधारी सिंह दिनकर भारत के इतिहास में एक क्रांतिकारी कवि रहे हैं। एक गरीब परिवार में जन्मे, भारत के राष्ट्रकवि भारत में स्वतंत्रता आंदोलन से प्रेरित थे, जिसने उन्हें अपनी भावनाओं को लिखने और चित्रित करने का उत्साह दिया।
प्रारंभ में, वह क्रांतिकारी आंदोलन के समर्थन में थे, लेकिन 1920 में महात्मा गांधी से मिलने और स्वतंत्रता प्राप्त करने के उनके तरीके से प्रेरित होने के बाद, वे गांधीवादी हो गए।
वह उस समय आयोजित कवि सम्मेलन में लोकप्रिय कवियों (कवियों) में से थे। यद्यपि वह एक गांधीवादी थे, उन्हें एक “बुरा गांधीवादी” कहा जाता था, जिन्होंने भारत के युवाओं में बदला लेने के लिए उकसाया था।
रामधारी सिंह दिनकर की कविता “सिंहासन खाली करो की जनता आती है” का उपयोग भारत में स्वतंत्रता आंदोलन के लिए युवाओं को प्रेरित करने के लिए कई बार किया गया है।
रामधारी सिंह दिनकर की जीवनी
नाम (Name ) | रामधारी सिंह दिनकर |
अन्य नाम (Other Name ) | राष्ट्रकवि |
जन्म तारीख (Date of birth) | 23 सितम्बर 1908 |
जन्म स्थान (Place of born ) | सिमरिया घाट बेगूसराय जिला, बिहार, भारत |
मृत्यु तिथि (Date of Death ) | 24 अप्रैल 1974 |
मृत्यु का स्थान (Place of Death) | मद्रास, तमिलनाडु, भारत |
मृत्यु का कारण (Death Cause) | शरीर की कई बीमारियाँ |
उम्र( Age) | 65 वर्ष (मृत्यु के समय ) |
शिक्षा (Education ) | इतिहास राजनीति विज्ञान में बीए |
स्कूल (School ) | नेशनल मिडिल स्कूल |
कॉलेज (Collage ) | पटना विश्वविद्यालय |
गृहनगर (Hometown ) | सिमरिया घाट बेगूसराय जिला, बिहार, भारत |
पेशा (Profession) | लेखक, कवि |
भाषा (Language) | हिंदी |
अवधि/काल (period) | आधुनिक काल |
विषय (Subject) | कविता, खंडकाव्य, निबंध, समीक्षा |
उल्लेखनीय कार्य (notable works) | कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, उर्वशी, हुंकार, संस्कृति के चार अध्याय, परशुराम की प्रतीक्षा, हाहाकार |
धर्म (Religion) | हिन्दू |
आँखों का रंग (Eye Color) | काला |
बालो का रंग (Hair Color ) | काला |
नागरिकता(Nationality) | भारतीय |
वैवाहिक स्थिति (Marital Status) | विवाहिक |
रामधारी सिंह दिनकर का जन्म एवं शुरुआती जीवन (Birth & Early Life )
रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 24 सितंबर 1908 को बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया गांव में हुआ था । उनके पिता का नाम ‘रवि सिंह’ और उनकी माता का नाम ‘मनरूप देवी’ था ।
दिनकर दो साल के थे जब उनके पिता की मृत्यु हो गई। नतीजतन, दिनकर और उनके भाई-बहनों को उनकी मां ने पाला। दिनकर का बचपन ग्रामीण इलाकों में बीता।
दिनकर देशभक्ति से जुड़े कवि के रूप में जाने जाते थे। दिनकर के पिता एक आम किसान थे।
रामधारी सिंह दिनकर की शिक्षा (Education )
- एक छात्र के रूप में, उनके पसंदीदा विषय इतिहास, राजनीति और दर्शन थे। स्कूल में और बाद में कॉलेज में, उन्होंने हिंदी, संस्कृत, मैथिली, बंगाली, उर्दू और अंग्रेजी साहित्य का अध्ययन किया।
- दिनकरजी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव के ‘प्राथमिक विद्यालय’ से प्राप्त की और ‘नेशनल मिडिल स्कूल’ में दाखिला लिया। उन्होंने मोकामा हाई स्कूल से हाई स्कूल में शिक्षा प्राप्त की।
- दिनकर ने 1932 में पटना विश्वविद्यालय से इतिहास में बीए किया । उन्होंने संस्कृत, बंगाली, अंग्रेजी और उर्दू का गहराई से अध्ययन किया।
- पटना विश्वविद्यालय से बीए पूरा करने के बाद । अगले वर्ष उन्हें एक स्कूल में ‘प्रधानाचार्य’ के रूप में नियुक्त किया गया । लेकिन 1934 में उन्होंने बिहार सरकार के तहत ‘डिप्टी रजिस्ट्रार’ का पद संभाला ।
रामधारी सिंह दिनकर की रचनाएँ –
- रामधारी दिनकर की पहली कविता 1924 में एक स्थानीय समाचार पत्र छत्र सहोदर में प्रकाशित हुआ।
- चार साल बाद सरदार वल्लभभाई पटेल के बारडोली सत्याग्रह से प्रेरित होकर, रामधारी सिंह दिनकर ने 10 कविताएँ लिखीं जो बाद में “विजय संदेश” पुस्तक में प्रकाशित हुईं।
- अपनी पहचान को अक्षुण्ण रखने के लिए वह अमिताभ के नाम से लिखते थे। उसके बाद उनकी कविताएँ अक्सर पुस्तकों, पत्रिकाओं, पत्रिकाओं और स्थानीय समाचार पत्रों में प्रकाशित हुईं।
- रामधारी सिंह दिनकर को वीर रस (बहादुरी) कविताएँ लिखने के लिए जाना जाता है और “रश्मिरथी” को हिंदी महाकाव्य महाभारत पर भारत के राष्ट्रकवि के सर्वश्रेष्ठ कार्यों में से एक माना जाता है।
- दिनकर ने बहादुरी और गरीबी से प्रेरित कविताएं लिखने के अलावा सामाजिक-राजनीति पर व्यंग्य भी लिखे।
- “संस्कृति के चार अध्याय” में वे मूल्य हैं (धर्मनिरपेक्षता, एकीकृत संस्कृति और उपनिवेशवाद विरोधी) जो स्वतंत्रता आंदोलन के कारण देश में उभरे।
- “कुरुक्षेत्र”, “परशुराम की प्रतीक्षा” रामधारी सिंह दिनकर की अन्य प्रसिद्ध कविताएँ हैं।
रामधारी सिंह दिनकर का कविता संग्रह (Major Poetic Works)
- रेणुका (1935)
- हुंकार (1938)
- रसवन्ती (1939)
- द्वन्द्वगीत (1940)
- कुरुक्षेत्र (1946)
- धूपछाँह(1946)
- सामधेनी (1947)
- बापू (1947)
- इतिहास के आँसू (1951)
- धूप और धुआँ (1951)
- रश्मिरथी (1954)
- नीम के पत्ते (1954)
- दिल्ली (1954)
- नील कुसुम (1955)
- नये सुभाषित(1957)
- सीपी और शंख (1957)
- परशुराम की प्रतीक्षा (1963)
- हारे को हरि नाम (1970)
- प्रणभंग (1929)
- सूरज का ब्याह (1955)
- कविश्री (1957)
- कोयला और कवित्व (1964)
- मृत्तितिलक (1964)
रामधारी सिंह दिनकर के निबंध संग्रह (Major Prose Works )
- मिट्टी की ओर (1946ई०)
- अर्द्धनारीश्वर(1952ई०)
- रेती के फूल(1954ई०)
- हमारी संस्कृति (1956ई०)
- वेणुवन (1958ई०)
- उजली आग(1956ई०)
- राष्टभाषा और राष्ट्रीय एकता(1958ई०)
- धर्म नैतिकता और विज्ञान(1959ई०)
- वट पीपल(1961ई०)
- साहित्य मुखी(1968ई०)
- आधुनिकता बोध (1973ई०)।
रामधारी सिंह दिनकर के अनुवाद
- आत्मा की आँखें / डी० एच० लारेंस (1964)
रामधारी सिंह दिनकर के खण्डकाव्य
- उर्वशी (1961)
रामधारी सिंह दिनकर की चुनी हुई रचनाओं के संग्रह
- चक्रवाल (1956)
- सपनों का धुआँ
- रश्मिमाला
- भग्न वीणा
- समर निंद्य है
- समानांतर
- अमृत-मंथन
- लोकप्रिय दिनकर (1960)
- दिनकर की सूक्तियाँ (1964)
- दिनकर के गीत (1973)
- संचयिता (1973)
- रश्मिलोक (1974)
रामधारी सिंह दिनकर की बाल कविताएँ
- चांद का कुर्ता
- नमन करूँ मैं
- सूरज का ब्याह (कविता)
- चूहे की दिल्ली-यात्रा
- मिर्च का मज़ा
- वर्षा
रामधारी सिंह दिनकर की कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- दूध-दूध!
- सिंहासन खाली करो कि जनता आती है
- जीना हो तो मरने से नहीं डरो रे
- परंपरा
- परिचय
- दिल्ली (कविता)
- झील
- वातायन
- समुद्र का पानी
- कृष्ण की चेतावनी
- ध्वज-वंदना
- आग की भीख
- बालिका से वधू
- जियो जियो अय हिन्दुस्तान
- कुंजी
- मनुष्य और सर्प
- परदेशी
- एक पत्र
- एक विलुप्त कविता
- लेनिन
- गाँधी
- आशा का दीपक
- कलम, आज उनकी जय बोल
- शक्ति और क्षमा
- हो कहाँ अग्निधर्मा नवीन ऋषियों
- गीत-अगीत
- लेन-देन
- निराशावादी
- रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद
- लोहे के मर्द
- विजयी के सदृश जियो रे
- समर शेष है
- पढ़क्कू की सूझ
- वीर
- मनुष्यता /
- पर्वतारोही
- करघा /
- चांद एक दिन
- भारत
- भगवान के डाकिए
- जनतन्त्र का जन्म
- शोक की संतान
- जब आग लगे…
- पक्षी और बादल /
- राजा वसन्त वर्षा ऋतुओं की रानी
- मेरे नगपति! मेरे विशाल!
- लोहे के पेड़ हरे होंगे
- सिपाही
- रोटी और स्वाधीनता
- अवकाश वाली सभ्यता
- व्याल-विजय
- माध्यम
- स्वर्ग
- कलम या कि तलवार
- हमारे कृषक
रामधारी सिंह दिनकर की उपलब्धियाँ (Achievements )
- बीए की परीक्षा पास करने के बाद वे एक स्कूल में शिक्षक बन गए। 1934 से 1947 तक उन्होंने बिहार सरकार की सेवा में प्रचार विभाग के उप पंजीयक और उप निदेशक के रूप में कार्य किया।
- उनका 4 साल में 22 बार तबादला हुआ था। 1952 में जब भारत की पहली संसद का गठन हुआ, तो वे राज्यसभा के सदस्य चुने गए और दिल्ली चले गए ।
- दिनकर जी 12 साल तक संसद सदस्य रहे, बाद में 1964 से 1965 तक भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त हुए।
- लेकिन अगले वर्ष, भारत सरकार ने उन्हें अपना हिंदी सलाहकार नियुक्त किया।1965 से 1971 तक और वे दिल्ली लौट आए।
रामधारी सिंह दिनकर के पुरस्कार और सम्मान (Awards and Honor)
- दिनकर को काशी नगरी प्रचारिणी सभा, उत्तर प्रदेश सरकार से सम्मान और भारत सरकार से उनके काम कुरुक्षेत्र के लिए एक पुरस्कार भी मिला।
- उन्हें उनके काम ‘संस्कृति के चार अध्याय’ के लिए 1959 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था ।
- भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें 1959 में पद्म विभूषण पुरस्कार प्रदान किया था। उन्हें भागलपुर विश्वविद्यालय द्वारा एलएलडी की डिग्री से सम्मानित किया गया था।
- 1968 में, राजस्थान विद्यापीठ ने उन्हें साहित्य-चूड़ामन पुरस्कार से सम्मानित किया। 1972 में, उन्हें उनकी कविता उर्वशी के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला।
- 1952 में, वे राज्यसभा के लिए चुने गए और लगातार तीन बार राज्यसभा के सदस्य रहे ।
- 30 सितंबर 1987 को उनकी 13वीं पुण्यतिथि पर तत्कालीन राष्ट्रपति जैल सिंह ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
- साल 1999 में, भारत सरकार ने उनकी स्मृति में एक डाक टिकट जारी किया।
- केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी ने उनकी जन्मशती के अवसर पर रामधारी सिंह दिनकर-व्यक्तित्व एक कार्यपुस्तिका का विमोचन किया।
- बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनकी जन्म शताब्दी के अवसर पर उनकी एक विशाल प्रतिमा का अनावरण किया।
रामधारी सिंह दिनकर का का निधन
रामधारी सिंह दिनकर का 24 अप्रैल, 1974 को 65 वर्ष की आयु में बिहार के बेगूसराय में निधन हो गया।
रामधारी सिंह दिनकर के मरणोपरांत मान्यताएँ –
30 सितंबर, 1987 को, उनकी 79 वीं जयंती को चिह्नित करने के लिए भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
साल 1999 में, दिनकर उन हिंदी लेखकों में से एक थे, जिन्हें भारत सरकार द्वारा जारी स्मारक डाक टिकटों के एक सेट पर चित्रित किया गया था।
बिहार सरकार ने बेगूसराय में उनके नाम पर एक हिंदी विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा की है। नए विश्वविद्यालय का नाम राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर हिंदी विश्वविद्यालय रखा जाएगा।
FAQ
रामधारी सिंह दिनकर की कविता कौन कौन सी है?
रामधारी सिंह दिनकर का कविता संग्रह –
रेणुका (1935) ,हुंकार (1938) ,रसवन्ती (1939)
द्वन्द्वगीत (1940) ,कुरुक्षेत्र (1946) ,धूपछाँह(1946)
सामधेनी (1947), बापू (1947) एवं अन्य और
रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध काव्य रचना का क्या नाम है?
वर्ष 1972 में काव्य रचना उर्वशी के लिये उन्हें ज्ञानपीठ से सम्मानित किया गया।
रामधारी सिंह दिनकर को राष्ट्रीय कवि क्यों कहा जाता है?
मानव-मात्र के दुख-दर्द से पीड़ित होने वाले कवि थे. राष्ट्रहित उनके लिए सर्वोपरि था. शायद इसीलिए वह जन-जन के कवि बन पाए और आज़ाद भारत में उन्हें राष्ट्रकवि का दर्जा मिला.
रामधारी सिंह दिनकर के पिता का नाम?
रवि सिंह
दिनकर की पहली रचना कौन सी है?
दिनकर की पहली रचना ‘प्रणभंग’ है
रामधारी सिंह दिनकर को ज्ञानपीठ पुरस्कार कब मिला था?
रामधारी सिंह दिनकर को उनकी कृति उर्वशी के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार 1972 को मिला।
दिनकर जी का पूरा नाम क्या है?
रामधारी सिंह दिनकर
रामधारी सिंह दिनकर का उपनाम क्या है?
रामधारी सिंह दिनकर का उपनाम ”दिनकर” है।
रामधारी सिंह दिनकर की पहली रचना कौन सी है
पहला काव्यसंग्रह ‘विजय संदेश’ वर्ष 1928 में प्रकाशित
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अंतिम कुछ शब्द –
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