संजीव कुमार भारतीय फिल्मों के जाने-माने अभिनेता हैं। उनका अभिनय ही कारण था कि उन्होंने कम समय में हिंदी फिल्म उद्योग में अपना नाम बनाया। उनकी लोकप्रियता लंबे समय तक बहुत बड़ी थी। करीब 25 साल तक संजीव कुमार ने फिल्म-जमीन पर राज किया।
संजीव ने दस्तक’ और ‘कोशिश’ समेत कई फिल्मों में काम किया है।
संजीव न केवल एक ऐसे अभिनेता हैं, जिन्होंने कई पुरस्कार जीते हैं, बल्कि हिंदी सिनेमा में उनके योगदान के लिए भी। उन्हें कई अन्य महान सम्मानों से भी नवाजा जा चुका है। गुजरात के सूरत में संजीव नाम से एक सड़क बनाई गई थी। इसे ‘संजीव कुमार मार्ग’ कहा जाता था। संजीव कुमार सूरत के एक स्कूल का नाम भी है।
संजीव कुमार का जीवन परिचय(Sanjeev Kumar biography)
नाम Name | संजीव कुमार |
असली नाम Real Name | हरिहर जेठालाल जरीवाला |
चालू नाम Nickname | हरिभाई |
जन्म तारीख Date of Birth | 9 जुलाई 1938 |
उम्र Age | 47 साल |
जन्म स्थान Birth Place | सूरत,गुजरात |
गृह नगर Home Town | सूरत,गुजरात |
मृत्यु की तारीख (Date of Death) | 6 नवंबर 1985 |
मृत्यु की जगह (Place of Death) | मुंबई, महाराष्ट्र |
मृत्यु की वजह (Reason of Death ) | हार्ट अटैक |
राशि Zodiac Sign | कर्क |
जाति (Caste ) | ब्राह्मण |
नागरिकता Nationality | भारतीय |
शिक्षा Education Qualification | NA |
लंबाई (Height) | 5 फीट 6 इंच |
आँखों का रंग (Eye Color) | काला |
बालो का रंग( Hair Color) | काला |
धर्म Religion | हिन्दू |
वैवाहिक स्थिति Marital Status | आविवाहित |
संजीव कुमार का शुरूआती जीवन (Sanjeev Kumar Early Life )
गुजराती परिवार में जन्मे संजीव कुमार अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने एक फिल्म स्कूल दाखिला ले लिया।
उन्होंने फिल्म स्कूल में अपने अभिनय के दम बहुत लोगो को अपना दीवाना और इसी बदौलत संजीव फिल्म निर्माताओं की नजरो में आ गये और यही से बॉलीवुड में एंट्री करने का मौका मिल गया और आखिरकार उन्होंने बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाई।
वह जीवन भर कुंवारे रहे। वह अभिनेत्री हेमा मालिनी से प्यार करते थे और यहां तक कि उन्हें शादी का प्रस्ताव भी दिया लेकिन उन्होंने मना कर दिया।संजीव कुंवारे ही इस दुनिया से चले गए साल 1985 में उनका निधन हो गया।
उन्होंने एक्ट्रेस जया भादुड़ी को असल जिंदगी में अपनी बहन बना लिया और उसके बाद फिल्मों में उनके अपोजिट जोड़ी नहीं बनाई।
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संजीव कुमार का जन्म(Sanjeev Kumar Born)
संजीव कुमार 9 जुलाई 1938 को सूरत, बॉम्बे में पैदा हुए । वह एक गुजराती परिवार के बेटे थे। संजीव का पहला नाम हरिहर जेठालाल जरीवाला था, जो प्यार से ‘हरिभाई’ के नाम से भी जाने जाते थे।
फिल्म इंडस्ट्री में आने से पहले संजीव का नाम हरिहर से बदलकर संजीव कुमार कर दिया गया था। वह हिंदी सिनेमा के स्टार हैं।सूरत वहीं था जहां उन्होंने अपना बचपन बिताया।उनके घर में उनके साथ दो भाई और एक बहन भी।
जब उनके परिवार ने सूरत से मुंबई जाने का फैसला किया तो संजीव भी उनके साथ मुंबई में जाके रहने लगे।
संजीव कुमार का परिवार (Sanjeev Kumar Family )
पिता का नाम (Father’s Name) | जेठालाल जरीवाला |
माता का नाम (Mother’s Name) | ज़वेरबेन जेठालाल जरीवाला |
भाई (Brotherr’s Name) | • किशोर जरीवाला (संगीत निर्देशक) • नकुल जरीवाला (फिल्म निर्माता) |
बहने (Sisterr’s Name) | • लीला जरीवाला (अभिनेता) |
संजीव कुमार का करियर (Sanjeev Kumar Career )
संजीव कुमार ने पहली बार मंच पर परफॉर्म करना शुरू किया। उनके अभिनय को पहले ‘पिटा’ थिएटर, मुंबई और फिर ‘इंडियन नेशनल थिएटर’ में दिखाया गया। संजीव अक्सर ऐसे किरदार निभाते थे जो उनकी अपनी उम्र से बड़े थे। 22 साल की उम्र में, उन्होंने अपने नाटक “ऑल माई सन्स” में एक बुजुर्ग व्यक्ति की भूमिका निभाई।
बाद में, संजीव कुमार ने “डमरू” नाम के एक 60 वर्षीय व्यक्ति की भूमिका निभाई, जो 6 बच्चों का पिता था। दर्शकों को भी यह किरदार पसंद आया। संजीव को अपने थिएटर एक्टिंग के दम पर फिल्मों में काम करने के ऑफर मिलने लगे।
संजीव कुमार ने साल 1960 में फिल्म “हम हिंदुस्तानी” से बॉलीवुड में कदम रखा था । इस फिल्म में उन्हें एक छोटे से किरदार के रूप में देखा गया था। मुख्य अभिनेता के रूप में संजीव की पहली भूमिका 1965 में थी। इस फिल्म का नाम “निशान” था।
1968 में संजीव कुमार और दिलीप कुमार ने फिल्म “संघर्ष” में अभिनय किया। दर्शकों ने इस फिल्म को खूब पसंद किया। अगले वर्ष, यानी 1969 में संजीव ने अभिनेत्री साधा और अभिनेता शम्मी कपूर के साथ फिल्म “सच्चाई” में अभिनय की शुरुआत की।
संजीव कुमार की पहली फिल्म (Sanjeev Kumar First Movie)
संजीव कुमार ने साल 1960 में बॉलीवुड में कदम रखा था और उन्होंने बॉलीवुड में डेब्यू फिल्म “हम हिंदुस्तानी” किया था । इस फिल्म में उन्हें एक छोटे से किरदार के रूप में देखा गया था। मुख्य अभिनेता के रूप में संजीव की पहली भूमिका 1965 में थी।
संजीव कुमार की आखरी फिल्म (Sanjeev Kumar last Movie)
आपको जानकर हैरानी होगी संजीव कपूर की मौत के बाद उनकी 10 से भी ज्यादा फिल्मे बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हुयी उनकी अंतिम फिल्म का नाम प्रोफेसर की पडोसन था जिसको साल 1989 में बॉक्स ऑफिस पर रिलीज किया गया.
यहां देखिए संजीव कुमार के निधन के बाद रिलीज हुई फिल्मों पर एक नजर:
साल | फिल्म का नाम |
1986 | कतली |
1986 | कांच की दीवार |
1986 | लव एंड गॉड |
1986 | हाथो की लकीरें |
1986 | छोटा आदमी |
1986 | बिजली |
1986 | बात बन जाए |
1987 | राही |
1987 | हिरासती |
1988 | नामुमकिन |
1988 | दो वक्त की रोटी |
1989 | ऊंच नीच बीच |
1989 | प्रोफेसर की पडोसन |
संजीव कुमार के अवार्ड्स (Sanjeev Kumar Awards )
सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
साल | फिल्म का नाम | किरदार का नाम |
1971 | दस्तक | हमीद |
1973 | कोशिश | हरिचरण |
सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार
साल | फिल्म का नाम | किरदार का नाम |
1976 | आंधी | जे.के. |
1977 | अर्जुन पंडित | अर्जुन पंडित |
सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार
साल | फिल्म का नाम | किरदार का नाम |
1969 | शिकार | इंस्पेक्टर राय |
संजीव कुमार की उपलब्धिया (Sanjeev Kumar Achievement )
सरकार द्वारा पार्प्त पहचान (Government recognition) –
सड़क को संजीव कुमार का नाम देना –
गुजरात के सूरत में उनके सम्मान में संजीव कुमार मार्ग नाम की एक सड़क का नाम रखा गया है। सड़क का उद्घाटन सुनील दत्त ने किया।
भारतीय डाक टिकट जारी करना –
इंडिया पोस्ट ने 3 मई, 2013 को उन्हें सम्मानित करने के लिए उनकी छवि वाला एक डाक टिकट जारी किया।
संजीव के नाम से सभागार-
108 करोड़ की लागत से गुजरात राज्य ने सूरत में उनके लिए एक सभागार खोला। सभागार को संजीव कुमार सभागार कहा जाता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस समय गुजरात के सीएम और सीएम थे।
संजीव कुमार के बारे में रोचक तथ्य
शोले में “ठाकुर” की भूमिका निभाने के लिए संजीव पहली पसंद नहीं थे। इसके बजाय, यह धर्मेंद्र थे जो भूमिका निभाना चाहते थे। हालाँकि, रमेश सिप्पी ने धर्मेंद्र को “वीरू” की भूमिका निभाने के लिए राजी किया और अंततः ठाकुर की भूमिका दी गई संजीव को।
हरिहर जरीवाला (जिन्हें संजीव कुल के नाम से भी जाना जाता है) ने भारतीय राष्ट्रीय रंगमंच, बॉम्बे में शामिल होने के लिए अपने गुजराती माध्यम के स्कूल को छोड़ दिया।
भारतीय फिल्म निर्माता और निर्देशक सावन कुमार टाक ने भारतीय राष्ट्रीय रंगमंच में अपने दिनों में संजीव कुमार को स्क्रीन नाम संजीव कुमार दिया था।
गुलजार संजीव के करीब थे और उन्हें साथ काम करना पसंद था। उनकी कुछ सबसे बड़ी हिट फिल्मों में परिचय (1972),आंधी (1975),मौसम (1975),नमकीन (1982),अंगूर (1982),कोशिश (1972) शामिल हैं।
संजीव कुमार क्रमशः परिचय (1972) और शोले (1975) में जया भादुड़ी के पिता और ससुर थे। वह अनहोनी (1973), और नया दिन नई रात (74) में भी उनके प्रेमी थे।
नया दिन नई रात (1974) उन्होंने नौ किरदार निभाए। यह उनकी सबसे कठिन भूमिकाओं में से एक थी। हालांकि, यह सिनेमाघरों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई।
संजीव कुमार को दावतों से बहुत प्यार था और अक्सर अपने घर और अन्य बॉलीवुड अभिनेताओं की पार्टियों में भाग लेते थे ।
अंजू महेंद्रू संजीव कुमार की करीबी दोस्त थीं और उन्होंने एक इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया। संजीव अपना घर नहीं खरीद पाए ।
अगर संजीव के पास 5०,००० रुपये होते तो घर की कीमत 8०,००० रुपये होती। अगर वह 8०,००० रुपये कमाते तो उसकी कीमत 1 लाख रुपये होती। ऐसे ही चलता रहा और संजीव ने जीवन भर घर नहीं खरीदा।
परिवार में चलने वाली प्राकृतिक बीमारियों के कारण, संजीव के परिवार में कोई भी 50 साल से अधिक समय तक जीवित नहीं रहा।
संजीव कुमार जानते थे कि वह 50 साल की उम्र में मर जायेंगे । उसका बड़ा भाई नकुल, उसका छोटा भाई, उससे पहले मर गया। उनकी मृत्यु के 6 महीने बाद उनकी मृत्यु हो गई।
संजीव कुमार 1970 के दशक के दौरान उनको दिल का पहला दौरा पड़ा था
उनकी मृत्यु के बाद दस फ़िल्में जिनमें उन्होंने अभिनय किया, रिलीज़ हुईं; प्रोफ़ेसर की पड़ोसन (1993), अंतिम रिलीज़ होने वाली फ़िल्म है।
संजीव कुमार मार्ग गुजरात के सूरत में एक सड़क का नाम है। इसका उद्घाटन 2005 में सुनील दत्त ने किया था।
संजीव कुमार फाउंडेशन सूरत में एक गैर सरकारी संगठन है जो कम भाग्यशाली बच्चों के साथ काम करता है और बुनियादी सुविधाएं प्रदान करता है।
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संजीव कुमार की मृत्यु (Sanjeev Kumar death)
उनका पहला दिल का दौरा पड़ने के बाद यूएसए में उनका बायपास किया गया था। 6 नवंबर 1985 को 47 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। उनके बड़े भाई निकुल का उनसे पहले निधन हो गया था। उनके दूसरे भाई किशोर की भी छह महीने बाद मृत्यु हो गई।
संजीव कुमार की दस से अधिक फिल्में उनके मरने के बाद रिलीज़ की गयी थीं और उनकी आखिरी फिल्म 1993 में आयी ”प्रोफेसर की पडोसन” थीं। उनके निधन के समय फिल्म ”प्रोफेसर की पडोसन” का मात्र तीन-चौथाई निर्माण ही हो पाया था और बाद में यह निर्णय लिया गया कि संजीव कुमार के किरदार की कमी को पूरा करने के लिए फिल्म की कहानी को दो भागो में बनाया गया ।
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अंतिम कुछ शब्द –
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