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भोपाल गैस काण्ड या भोपाल गैस त्रासदी जो 3 दिसम्बर सन् 1984 को भोपाल में स्थित यूनियन कार्बाइड के कारखाने से जहरीली गैस की लीक होने से हुआ था। इस घटना की वजह से 15000 से ज्यादा लोगो ने अपनी जान से हाथ धोया था।
भोपाल गैस काण्ड में जहरीली गैस के रिसाव के कारण लोगो के शरीर में तरह तरह की बीमारिया ,अपंगता ,अंधापन जैसे लक्षण देखे गए थे इस घटना के बाद पैदा हुए बच्चो में अपंगता सबसे ज्यादा देखी गयी थी। कई सालो तक लोगो का भोपाल में अपंग बच्चे पैदा होते रहे।
भोपाल गैस काण्ड घटना से मरने वालो की संख्या सरकार द्वारा दो से तीन हजार तक बताई थी लेकिन अन्य रिपोर्ट के मुताबित ये आकड़ा हकीकत में बहुत कम था। इस घटना से प्रभावित होने वाले लोगो की संख्या लगभग पांच से छह लाख के करीब थी। इस घटना से बुरी तरह अपंग हुए लोगो की संख्या चार हजार के करीब थी।
भोपाल गैस काण्ड को मानव जाति के लिए अब तक की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटनाओं में गिना जाता है.साल 1993 में भारत सरकार ने भोपाल-अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को इस घटना से प्रभावित हुए लोगो के ऊपर होने वाले प्रभावों के साथ साथ पर्यावरण के ऊपर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को जानने का कार्य सौपा।
भोपाल गैस काण्ड होने की वजह –
साल 1969 में यूसीआईएल कारखाने का निर्माण किया गया था। इस कारखाने के निर्माण की वजह मिथाइलआइसोसाइनाइट नामक पदार्थ से कीटनाशक बनाने के लिए की गयी थी। इस कीटनाशक का नाम सेविन था.करीब दस साल के बाद साल 1979 में मिथाइल आइसोसाइनाइट (MIC) के उत्पादन के लिए एक और कारखाना खोला गया।
करीब करीब एक साल के बाद ही साल 1980 में कीटनाशक दवाई की मांग में कमी आयी लेकिन कारखाना पहले की तरह ही कीटनाशक बना रहा था इसका प्रभाव ये पड़ा की कारखाने ने मांग से ज्यादा हो रहे कीटनाशक को भंडार करना शुरू कर दिया।
साल 1984 आते आते कारखाने के उपकरणों में खराबी आने लगी जिसकी कारखाने के किसी भी कर्मचारी को कोई परवाह नहीं थी. इसका मुख्य कारण था की उपकरणों को ठीक करने के लिए सारे मैन्युअल इंग्लिश में लिखे हुए थे और कारखाने के कर्मचारियों को अंग्रेजी का उस समय ज्ञान नहीं था।
इसके साथ साथ पाइपों की सफाई करने वाले उपकरणों ने भी काम करना बंद कर दिया था।इसके अलावा टैंक नंबर 610 में हद से ज्यादा गैस भरी हुयी थी एमआईसी गैस को भंडार करने के लिए चार से पांच डिग्री तापमान की जरुरत होती है लेकिन टैंक का तापमान बीस डिग्री था जो औसतन पांच गुना ज्यादा था टैंक के तापमान के बढ़ने का मुख्य कारण, टैंक को ठंडा रखने वाले फ्रीजिंग प्लांट को बिजली की ज्यादा खफत आने के कारण बंद कर देना था।
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भोपाल गैस काण्ड में होने वाला गैस का रिसाव –
भोपाल, यूसीआईएल कारखाने में जमीन के अंदर तीन टैंक ( नंबर 610, 611 एवं 619 ) रखें हुए थे. तीनो टैंको की क्षमता 68000 लीटर की थी। सुरक्षा कारणों के हिसाब से इन टैंको को 50% से ज्यादा नहीं भरा जाना चाहिए लेकिन इन सभी नियम को ताक पर रखकर टेंको को उनकी क्षमता से ज्यादा भरा गया और जिस बात का डर था वही हुआ।
2 से 3 दिसम्बर की रात को टैंक नंबर 610 में एक साइड पाइप से पानी घुसना शुरू हो गया और जिस पाइपलाइन से पानी टेंक के अंदर जा रहा था उसमे भी जंग लगा हुआ था। पानी और जंग से प्रभावित आयरन के टेंक के पहुंचने की वजह से टेंक के अंदर खतरनाक रिएक्शन होने लगा और इस रिएक्शन की वजह से टेंक के अंदर का तापमान 20 डिग्री से सीधे 200 डिग्री तक पहुंच गया.
टैंक का तापमान ज्यादा होने की वजह से आधे से एक घण्टे के अंदर ही टेंक में से जहरीली गैस का रिसाव शुरू हो गया था।
गैस के रिसाव से भोपाल के दक्षिण पूर्वी इलाके में जहरीली गैसों के बादल बन गए थे रिसाव हुयी जहरीली गैसों में कार्बन डाइऑक्साइड, मोनोमेथलमीन, हाइड्रोजन क्लोराइड, कार्बन मोनोक्साइड, हाइड्रोजन सायनाइड मुख्य थी।
गैस के रिसाव से होने वाला प्रभाव –
भोपाल के दक्षिण पूर्वी इलाके में जहरीली गैसों के रिसाव से वहां रहने वाले लोगो को साँस लेने में दिक्कत ,आँखों में जलन ,घुटन ,पेट का फूलना ,उल्टिया आना जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इस घटना से बच्चो को सबसे ज्यादा नुकसान पंहुचा।
भोपाल के दक्षिणी इलाके में गैस इतनी तेजी से फैली की लोगो को अपनी जान बचाने के लिए भागने का मौका भी नहीं मिला और गैस लोगो के शरीर के अंदर बड़ी मात्रा में प्रवेश कर गयी जिसके बाद एक के बाद एक लाशे गिरनी शुरू हो गयी और देखते ही देखते लाशो के ढेर लग गए।
भोपाल गैस काण्ड में होने वाली मौतों की संख्या-
भोपाल गैस काण्ड में गैस के रिसाव के अगले दिन सरकारी आंकड़ों के मुताबित इस गैस से 2,259 लोगो की तत्काल मौत हो गयी थी लेकिन बाद में मध्यप्रदेश की सरकार ने मौतों की संख्या 3,787 बताई हालंकि ये सब संख्याये हकीकत मौतों से बहुत कम थी।
साल 2006 में भारत सरकार ने एक रिपोर्ट निकली जिसके मुताबित भोपाल गैस काण्ड में के रिसाव से जख्मी हुए लोगो की संख्या 5,58,125 थी और 38,478 लोग मामूली रूप से विकलांग हुए थे और 3,900 लोग पूरी तरह से विकलांग हो गए थे। इसका सबसे ज्यादा पैदा होने वाले बच्चो की मौतों पर पड़ा।
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भोपाल गैस काण्ड का मुख्य आरोपी–
भोपाल गैस काण्ड घटना का मुख्य आरोपी कारखाने के मालिक और संचालन वॉरन एंडरसन को माना गया क्योकि उसने कारखाने के रख रखाव पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया था और कारखाना ख़राब रख रखाव के कारण घटिया हालत में पहुंच गया था।
भोपाल गैस काण्ड की घटना के तुरंत बाद वॉरन एंडरसन को भारत बुलाया गया और 24 घंटे के बाद एक मामूली से जुर्माने 2100 $ लेकर उसे देश छोड़कर जाने को बोल दिया गया जहा से वो अमेरिका भाग गया और बाद में वो कभी भी किसी भी सुनवाई में हाजिर नहीं हुआ। जिसको बाद में पकड़ने के सारे हथकंडे फ़ैल हो गए.
साल 1984 में यूनियन कार्बाइड के मालिक वॉरन एंडरसन अपने पद से रिटायर हो गए थे और 92 साल की उम्र में कारखाने के मालिक और संचालन वॉरन एंडरसन की 29 सितंबर, 2014 को फ्लोरिडा शहर में मौत हो गयी।
कुछ लोगो का मानना था की यूनियन कार्बाइड के मालिक को गैर जमानती वारंट के साथ इंडिया आते ही गिरफ्तार किया गया था जिसका सीधा सा मतलब था की उनको जमानत नहीं मिल सकती थी लेकिन कुछ लोगो की मिलीभगत से उसे भारत से जमानत दिलवा कर देश छोड़ कर जाने दिया।
भोपाल गैस काण्ड पर कोर्ट का फैसला –
7 जून 2010 को मोहन पी तिवारी, जो की मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी है ने तीस साल के बाद सुनाये गए अपने 93 पेजो के बयानों में भोपाल गैस काण्ड में आठ लोगो को आरोपी घोषित किया गया यूनियन कार्बाइड इंडिया के पूर्व अध्यक्ष केशव महिंद्रा 85 वर्ष के साथ साथ सात अलग अलग लोगो को दोषी ठहराया और हर एक को दो साल के कारावास की सजा के साथ साथ एक लाख रूपये जुर्माने के तौर पर चुकाने के लिए भी कहा।
इसके अलावा अमेरिकन कंपनी यूनियन कार्बाइड की भारत में मौजूद कंपनी पर पांच लाख रुपयों का जुर्माना लगाया गया लेकिन कुछ समय के बाद सभी साथ आरोपियों को 25000 रूपये जुर्माने के साथ छोड़ दिया गया। इस घटना के मुख्य आरोपी वॉरन एंडरसन को भगोड़ा घोषित कर दिया गया जो की कभी पकड़ा ही नहीं जा सका।
FAQ
भोपाल गैस ट्रेजेडी के समय प्रधानमंत्री कौन थे ?
राजीव गाँधी
भोपाल गैस ट्रेजेडी के समय मुख्यमंत्री कौन थे ?
भोपाल गैस ट्रेजेडी के समय अर्जुन सिंह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे
भोपाल गैस त्रासदी में कौन सी गैस थी ?
मिथाइलआइसोसाइनाइट (MIC)
भोपाल गैस दुर्घटना किस रसायन के कारण हुई थी ?
भोपाल गैस दुर्घटना मिथाइलआइसोसाइनाइट (MIC) नाम की गैस के रिसाव से हुयी थी
भोपाल गैस त्रासदी कब हुई थी ?
2 दिसम्बर 1984
अंतिम कुछ शब्द –
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