बीरबल का जीवन परिचय,इतिहास ,परिवार ,मृत्यु ,उम्र, पत्नी ( Birbal Biography ,History ,Wife ,Age ,Death In Hindi )
राजा बीरबल की जीवनी काफी रोचक और प्रेरणादायक है। वे एक छोटे से गाँव के एक साधारण परिवार में जन्म लेने के बाद कैसे महान मुगल शासक अकबर के दरबार में प्रमुख वजीर और सलाहकार थे।
पंडित महेशदास दुबे उर्फ बीरबल बचपन से ही काफी चतुर और बुद्धिमान थे। वे साहित्य और कविताओं में भी काफी
रूचि रखते थे, उनकी विलक्षण प्रतिभा, हाजिर जवाबी और तर्क- वितर्क क्षमता के कारण ही महान मुगल शासक ने उन्हेअपने दरबार में वजीर बनाया था और उन्हे नवरत्नों में शामिल किया था।
आपने अकबर और बीरबल की कई कहानियाँ सुनी होगीं, जिनमें बीरबल की बुद्धिमत्ता के काफी चर्चे होते हैं। तो आइये जानते हैं राजा बीरबल की जीवनी और कुछ रोचक तथ्य-
बीरबल का जीवन परिचय |Birbal Biography In Hindi
जन्म का नाम (Birth Name ) | पण्डित महेश दास भट्ट |
प्रसिद्धि (Famous For ) | अकबर ने बीरबल को ‘राजा’ और ‘कविराय’ की उपाधि से सम्मानित किया था |
जन्मदिन (Birthday) | 1528 ई. |
जन्म स्थान (Birth Place) | सीधी जिला ,मध्यप्रदेश, भारत |
उम्र (Age ) | 58 साल (मृत्यु के समय ) |
मृत्यु की तारीख (Date of Death) | 16 फरवरी 1586 |
मृत्यु का स्थान (Place of Death) | स्वात घाटी , भारत (अब पाकिस्तान) |
नागरिकता (Citizenship) | भारतीय |
जाति (Cast ) | ब्राह्मण (जन्म के समय ) |
गृह नगर (Hometown) | सीधी जिला ,मध्यप्रदेश, भारत |
धर्म (Religion) | हिन्दू धर्म, दीन ए इलाही |
पेशा (Occupation) | अकबर के साम्राज्य में दरबारी और सलाहकार |
वैवाहिक स्थिति Marital Status | विवाहित |
बीरबल का जन्म और प्रारम्भिक जीवन
महेशदास का जन्म 1528 ई. में कालपी के नजदीक टिकवनपुर गाँव में हुआ था, जो कि उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है।
हालाँकि, उनके जन्मस्थान को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि बीरबल का जन्म
आगरा में हुआ था, तो कुछ उन्हे सीधी, मध्यप्रदेश का मानते है, कुछ उन्हे कालपी उत्तर प्रदेश का बताते है तो कुछ उन्हे
दिल्ली का निवासी भी बताते हैं।
महेशदास के पिता का नाम गंगा दास और माता का नाम अनाभा दवितों था। वे हिन्दू ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे, और
उन्हे साहित्य विरासत में मिला था।
उनके माता- पिता ने कई कविताएं और साहित्य लिखे थे, उसी क्रम में बीरबल भी आगे चलते हैं और ब्रज भाषा में अपनी रचनाएं लिखते हैं। अपने शुरूआती दिनों में वह पनवाड़ी का कार्य करते थे।
बीरबल की शिक्षा –
बीरबल हिन्दी, संस्कृत और पार्शियन भाषा के ज्ञानी थे और कवितायें लिखते थे। गायन में भी उनकी विशेष दिलचस्पी थी और इसकी उन्होने शिक्षा भी ली थी।
उनकी कविताओं के साथ उनका आलस्य भी काफी प्रसिद्ध होने लगा था। वह अकबर के दरबार में कार्य करने से पहले रीवा नरेश रामचंद्र राजूपत के दरबार में “ब्रम्ह कवि” थे।
बीरबल का परिवार –
पिता का नाम (Father) | गंगा दास |
माता का नाम (Mother) | अनाभा दावितो |
भाई का नाम (Brother ) | 2 भाई (नाम ज्ञात नहीं ) |
पत्नी का नाम (Wife ) | उर्वशी देवी |
बच्चो के नाम (Childrens ) | 2 लड़के :- (नाम ज्ञात नहीं ) 1 लड़की :– सौदामणि दूबे |
बीरबल का विवाह –
बीरबल काफी साधारण परिवार में जन्मे थे तो उनकी आर्थिक स्थिति सही नही थी। जब उन्होने रीवा के महाराजा के
दरबार में कार्य करना शुरू किया तो धीरे- धीरे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया। जिसके बाद ही उन्होने एक
सम्मानित और बेहद अमीर घराने की बेटी उर्वशी देवी से शादी की।
बीरबल की पत्नी का देहांत बीरबल के देहांत से बहुत पहले हो गया था। बीरबल के 2 लड़के और 1 लड़की थी। ऐसा कहा जाता है कि बीरबल की लड़की, बीरबल से ज्यादा होशियार और समझदार थी। वह समय- समय पर अपने पिता की मदद भी करती रहती थी। बीरबल की लड़की का ब्याह प्रसिद्ध कवि घग के भतीजे आषादत्त से हुआ था।
बीरबल की अकबर से मुलाकात –
- अकबर बीरबल की पहली मुलाकात कैसे हुई, इसे लेकर विभिन्न इतिहासकारों के अलग- अलग मत है। अकबर बीरबल से सम्बन्धित कई कथाएँ प्रचलित है, इनमें से अधिकतर मनगंढत हैं।
- इनकी मुलाकात को लेकर एक कथा काफी प्रचलित है। इसके अनुसार एक बार बादशाह ने पान का बीड़ा लगाने वाले अपने एक नौकर से पाओभर (250 ग्राम) चूना लाने के लिए बोला।
- नौकर बाहर पनवाड़ी की दुकान से जब इतना सारा चूना लेता है तो पनवाड़ी (बीरबल) को शक होता है, वह नौकर से कहता है कि राजा को तूने जो पान खिलाया होगा उससे उनकी जुबान कट गयी होगी, तभी वह इतना सारा चूना मंगा रहे है, जो तुझे खिलाया जायेगा, ताकि तुम्हारी जुवान भी उसी दर्द को महसूस करे।
- पनवाड़ी बीरबल ने नौकर को 250 ग्राम चूना के साथ इतना ही घी ले जाने को बोला और कहा जब राजा तुझसे ये चूना खाने को बोले तो उसके बाद इतना ही घी पी लेना तो तुझे कोई तकलीफ न होगी।
- बीरबल की बात समझकर नौकर दरबार जाता है तो वही होता है, राजा नौकर को सारा चूना खाने को बोलता है। अगले दिन जब नौकर दरबार फिर आता है, तो राजा उसे जिंदा देखकर चकित होते है और उससे सारी बात पूछते हैं। नौकर राजा को पनवाडी के बारे में बताता है।
- राजा पनवाड़ी की सूझ बूझ से प्रसन्न होते हैं और उससे मिलने जाते है। इस प्रकार बीरबल और अकबर की पहली मुलाकात होती है। अकबर उन्हे अपने दरबार में जगह देते हैं।
- एक अन्य कथा के अनुसार, बीरबल रीवा के राजा के यहाँ दरबारी कवि थे। रीवा के राजकुमार ने ही अकबर को बीरबल उपहार स्वरूप दिया था। कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है कि बीरबल मुगल साम्राज्य की प्रशंसा सुनकर अकबर के दरबार में आया था और उसने वहाँ अपनी कविताओं, वाक चतुरता से राजा को प्रभावित किया था। जिसके बाद अकबर ने उन्हे अपने दरबार में जगह दी थी।
अकबर बीरबल की जोड़ी
- बीरबल अकबर के नौरत्नों में से एक थे और वे न सिर्फ वे अच्छे कवि थे बल्कि अति बुद्धिमान भी थे। उसके विपरीत बादशाह अकबर पढे लिखे नही थे, परंतु वह बेहद शालीन थे और साहित्य और कला में रूचि रखते थे। वे साहित्यकारों और कलाकारों का बड़ा सम्मान करते थे। बादशाह समझदार व्यक्तियों से काफी तर्क वितर्क करते थे और उन्हे अपने स्तर पर हर तरीके से परखते थे।
- जब वे बीरबल से मिले तो उन्होने बीरबल की बुद्धिमता के काफी परीक्षण किये और उनसे इतने प्रभावित हुए कि उन्हे अपना प्रमुख वजीर बनाया।
- वे उन्हे हमेशा अपने साथ रखते थे और दरबार के बड़े निर्णय लेने से पहले बीरबल की सलाह लेते थे। इस तरह से अकबर और बीरबल की जोड़ी काफी मजबूत और पापुलर जोड़ी बन गयी थी।
- अकबर ने बीरबल को कई युद्धों में अपने साथ रखा व वह उन्हे कई बार अकेले भी युद्ध के लिए भेज दिया करते थे। इस दौरान साथ रहते हुए कई किस्से और कहानियाँ अकबर और बीरबल के नाम पर प्रसिद्ध हुए, इनमें से बीरबल की खिचड़ी कथा लगभग हर किसी को पता होगी।
- बीरबल और अकबर पर्सनल रूप से एक दूसरे के अच्छे मित्र भी थे। बीरबल ने अकबर के द्वारा शुरू किये गये दीन-ए- इलाही धर्म को अपनाया था। ऐसा करने वाले वह पहले और आखिरी हिंदू थे। अकबर ने फतेहपुर सीकरी में इबादत खाना बनावाया था, जहाँ पर उसने गैर मुस्लिमों को जाने की परमीशन भी दे दी थी।
बीरबल राजा कैसे बने?
बीरबल को राजा बीरबल कहा जाता है। ऐसा इसलिए कि अकबर बीरबल की कविताओं, भाषण, तर्क- वितर्क आदि से
इतने प्रभावित और प्रसन्न हुए थे कि उन्होने बीरबल को कुछ राज्य भेंट स्वरूप दिये थे।
इसलिए इन्हे राजा कहा जाता है। अकबर ने फतेहपुर सीकरी में बीरबल के लिए एक महल भी बनवाया था। बीरबल और अकबर के कई किस्से गढ़े गये है जिनमें बीरबल की चतुराई को दर्शाया गया है।
बीरबल की मृत्यु
- अफगानिस्तान में कुछ अफगानी बेईमानी से जनता को लूट रहे थे और जबरन वसूली कर रहे थे। इस बात का पता जब मुगल शासक अकबर को चला तो उन्होने आक्रमण के लिए जैन खान के नेतृत्व में एक सेना दल भेजा।
- अफगानियों से युद्ध करते हुए जैन खान को काफी कठिनाइयों को सामना करना पड़ा जिसके बाद उन्होने अकबर से सहायता के लिए संदेश भेजा।
- अकबर ने बीरबल को सेना की एक टुकड़ी के साथ जैन खान की मदद के लिए भेजा। जैन खान और बीरबल की आपस में बनती नही थी, बीरबल को युद्ध का ज्यादा अनुभव नही था। वे बस अकबर के साथ ही युद्ध में शामिल होते थे।
- अफगानियों ने रात के समय बीरबल की सेना को चारो ओर से घेर लिया और आक्रमण किया। वहाँ काफी भगदड़ मच गयी थी और बीरबल के सीने में एक तीर लगा, जिससे उनकी मृत्यु 58 वर्ष की आयु में 16 फरवरी 1586 को हो गयी थी।
- सबसे दुख की बात यह थी, कि बीरबल की मृत्यु के बाद उनका शव तक नही मिला। अकबर बीरबल के असमय देहावसान से काफी दुखी थे, किसी भी काम में उनका मन नही लगता था, पूरे राज्य में कई दिनों तक कामकाज बन्द रहा और शोक का माहौल रहा था।
बीरबल के वंशज
बीरबल के वंशज आज भी उस गांव में रहते है। राजा बीरबल की पीढ़ी के 36वें वंशज गंगा दुबे गांव में रहते है और
किराने की एक दुकान चलाने के साथ ही किसानी का काम भी करते हैं। उनके पास बीरबल से जुड़े कई दस्तावेज पीढ़ी दर पीढ़ी उनके पास रहे, जो अब उनके पास नही है।
अब इस परिवार से मिलने कोई भी सरकारी कर्मचारी या नेता नही आता है, सरकार का तो इनसे कोई सारोकार ही नही
रहा।
अब न कोई बीरबल की जन्मस्थली में रूचि रखता है और न ही किसी को बीरबल याद है, याद है तो बस उनकी
कथाएं और सूझबूझ के चर्चे। “बीरबल की खिचड़ी” तो बच्चों से लेकर बूढ़ों तक में चर्चा का विषय रहती है।
बीरबल से सम्बन्धित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
- बीरबल को राजा और कविराज की उपाधि प्राप्त थी जो कि मुगल सम्राट अकबर ने दी थी।
- बीरबल की पहेलियाँ और चुटकुले भी दरबार में काफी पापुलर थे, वह पूरे दरबार को हँसाने का माद्दा रखते थे।
- बीरबल रीवा के महाराज रामचन्द्र के दरबार में ब्रम्ह कवि थे।
- महेशदास का नाम बीरबल अकबर ने रखा था और ऐसा इसलिए क्योंकि वह बुद्धि के धनी थे।
- अकबर ने दीन-ए-इलाही नामक एक धर्म बनाया था, जिसे सिर्फ एक हिन्दू व्यक्ति ने अपनाया था और वे बीरबल थे।
- बीरबल की मृत्यु को अकबर के जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी थी, ऐसा अकबर ने कहा था। अकबर काफी लम्बे समय तक शोक में थे, पूरे राज्य का कामकाज बन्द सा हो गया था।
FAQ
बीरबल क्यों प्रसिद्ध थे?
बीरबल हिंदी, संस्कृत और पर्शियन भाषा में शिक्षा प्राप्त की थी. बीरबल कविताये भी लिखते थे, ज्यादातर उनकी कविताये ब्रज भाषा में होती थी, इस वजह से उन्हें काफी प्रसिद्धि भी मिली थी. बीरबल मुग़ल शासक अकबर के दरबार के वो सबसे प्रसिद्ध सलाहकार थे.
बीरबल के परिवार में कौन कौन था?
महेशदास के पिता का नाम गंगा दास और माता का नाम अनाभा दवितों था। वह तीन भाइयो में तीसरे नंबर थे।
बीरबल का दूसरा नाम क्या है?
पण्डित महेश दास भट्ट
बीरबल नाम कैसे पड़ा?
अकबर के दरबार में, अकबर ने बीरबल को “वीर -वर ” की उपाधि दी, इसलिए उसे बीरबल कहा जाने लगा।
बीरबल की मृत्यु कब हुई थी?
16 फरवरी 1586
बीरबल के पिता का क्या नाम था
गंगा दास
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अंतिम कुछ शब्द –
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