माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय ,जयंती , पुष्प की अभिलाषा कविता,दीप से दीप जले कविता ,प्यारे भारत देश कविता ,सिपाही कविता ,देशभक्ति कविता ,माता का नाम (Makhan lal Chaturvedi Biography, poems with meaning in hindi )
पंडित माखनलाल चतुर्वेदी एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी ,लेखक, साहित्यकार, कवि एवं पत्रकार थे। जिन्हें विशेष रूप से स्वतंत्रता के लिए भारत के राष्ट्रीय संघर्ष में उनकी भागीदारी में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है।
वह एक ऐसे व्यक्तित्व वाले वयक्ति थे कि पत्रकारिता और संचार के लिए एशिया का पहला विश्वविद्यालय उनके नाम पर रखा गया है। इस विश्वविद्यालय को माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता और संचार विश्वविद्यालय कहा जाता है और यह भोपाल, मध्य प्रदेश में स्थित है।
उन्हें ब्रिटिश राज के दौरान असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे स्वतंत्रता आंदोलनों में उनके योगदान के लिए विशेष रूप से याद किया जाता है।
वह हिंदी साहित्य में नव स्वच्छंदतावाद आंदोलन में उनके असाधारण योगदान के लिए वर्ष 1955 में साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति थे।
उनके लेख ‘हिम तारिंगिनी’ आज भी साहित्य जगत में लोकप्रिय है। उनकी कविताओं में भी अपने देश के प्रति यह बिना शर्त प्यार और सम्मान स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है और इसीलिए उन्हें “एक सच्ची भारतीय आत्मा” भी कहा जाता है।
माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय|
असली नाम (Real Name ) | पंडित माखनलाल चतुर्वेदी |
जन्म तारीख (Date of birth) | 4 अप्रैल 1889 |
जन्म स्थान (Place of born ) | बाबई गांव ,होशंगाबाद जिला, मध्य प्रदेश |
मृत्यु तिथि (Date of Death ) | 30 जनवरी 1968 |
मृत्यु का स्थान (Place of Death) | भोपाल, मध्य प्रदेश, भारत |
मृत्यु का कारण (Death Cause) | शरीर की कई बीमारियाँ |
उम्र( Age) | 78 वर्ष (मृत्यु के समय ) |
शिक्षा (Education) | प्राथमिक शिक्षा के बाद घर पर ही अंग्रेजी, संस्कृत, बांग्ला, गुजराती भाषा का अध्ययन |
गृहनगर (Hometown ) | बाबई गांव ,होशंगाबाद जिला, मध्य प्रदेश |
पेशा (Profession) | लेखक, साहित्यकार, कवि एवं पत्रकार |
भाषा (Language) | खड़ी बोली |
शैली (Genre ) | ओजपूर्ण भावात्मक |
विषय (Subject ) | हिंदी |
अवधि (Period) | छायावादी युग |
रचनाएं (Notable Work ) | युगचरण, समर्पण, हिमकिरीटनी इत्यादि |
कविता (Poem ) | हिम कीर्तिनी, साहित्य देवता, हिम तरंगिणी और वेणु लो गूंजें धरा |
साहित्य का प्रकार (Literary ) | नव छायाकार |
धर्म (Religion) | हिन्दू |
आँखों का रंग (Eye Color) | काला |
बालो का रंग (Hair Color ) | सफ़ेद |
नागरिकता(Nationality) | भारतीय |
वैवाहिक स्थिति (Marital Status) | शादीशुदा |
माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म एवं शुरुआती जीवन –
पंडित जी का जन्म 4 अप्रैल 1889 को मध्य प्रदेश के बवई नामक गाँव में हुआ था। यह वह समय था जब भारत पर अंग्रेजों का शासन था और स्वतंत्रता संग्राम जोर पकड़ रहा था।
उन्होंने 1906-1910 की अवधि के दौरान एक स्कूल शिक्षक के रूप में अपना करियर बनाया, लेकिन जल्द ही उन्हें अपनी मातृभूमि के लिए स्वतंत्रता संग्राम में अपनी असली बुलाहट मिली।
उन्होंने उस दौरान कई अन्य लोगों के बीच असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। ब्रिटिश शासन के दौरान उन्हें अनगिनत बार कैद भी किया गया था, लेकिन इससे उनकी हिम्मत नहीं टूटी।
वे राष्ट्रवादी पत्रिकाओं प्रभा , प्रताप और कर्मवीर के संपादक भी रहे । और उन्हें ब्रिटिश राज के दौरान बार-बार कैद किया गया था ।
उनके पिता का नाम नंदलाल चतुर्वेदी था, जो कस्बे के ग्रेड स्कूल में शिक्षक थे। बुनियादी शिक्षा के बाद उन्हें घर पर ही संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी, गुजराती आदि बोलियों की जानकारी मिली।
माखनलाल चतुर्वेदी का परिवार –
पिता का नाम (Father) | पंडित नंदलाल चतुर्वेदी |
माँ का नाम (Mother ) | सुंदरीबाई चतुर्वेदी |
पत्नी का नाम (Wife ) | ग्यारसी बाई |
माखनलाल चतुर्वेदी का साहित्यिक परिचय –
1910 के बाद, वे विभिन्न राष्ट्रवादी पत्रिकाओं जैसे ‘प्रभा’ और बाद में ‘कर्मवीर’ के संपादक बने। एक महान देशभक्तिपूर्ण उत्साह के साथ, उनके पास अपने गतिशील भाषणों और लेखन के साथ जनता को उत्तेजित करने की चिंगारी थी।
उन्होंने 1943 में हरदर में आयोजित अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षता की। माखनलाल चतुर्वेदी भारत के एक सपूत थे, जिनकी ‘सच्ची भारतीय भावना’ ने जनता में आशा और प्रत्याशा का संचार किया।
‘हिम कीर्तिनी’, ‘हिम तरंगिनी’, ‘कैसा चांद बना देती है’, ‘अमर राष्ट्र’ और ‘पुष्प की अभिलाषा’ जैसी कृतियों में आम आदमी की दुर्दशा का उनका संवेदनशील चित्रण आज भी दर्शकों को मिलता है।
हिंदी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के साथ, उन्होंने मानद ‘डी.लिट’ अर्जित किया। सागर विश्वविद्यालय से और वर्ष 1955 में प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार जीतने वाले पहले व्यक्ति थे।
माखनलाल चतुर्वेदी की रचनाएं–
माखनलाल चतुर्वेदी की काव्य कृतियाँ
- हिमकिरीटिनी,
- हिम तरंगिणी,
- युग चरण,
- समर्पण,
- मरण ज्वार,
- माता,
- वेणु लो गूंजे धरा,
- बीजुरी काजल आँज रही
माखनलाल चतुर्वेदी की गद्यात्मक कृतियाँ
- कृष्णार्जुन युद्ध,
- साहित्य के देवता,
- समय के पाँव,
- अमीर इरादे :गरीब इरादे
माखनलाल चतुर्वेदी की कविताएँ –
- अटल
- अधिकार नहीं दोगे मुझको
- अपना आप हिसाब लगाया
- अपनी जुबान खोलो तो
- अमर-अमर
- अमरते ! कहाँ से
- अमर राष्ट्र
- अमर विराग निहाल-गीत
- अंजलि के फूल गिरे जाते हैं
- अंधड़ और मानव
- आ गये ऋतुराज
- आज नयन के बँगले में
- आता-सा अनुराग
- आते-आते रह जाते हो
- आने दो
- आ मेरी आंखों की पुतली
- आराधना की बेली
- आँसू से
- इस तरह ढक्कन लगाया रात ने
- उच्चत्व से पतन स्वीकार था
- उठ अब, ऐ मेरे महाप्राण
- उठ महान
- उधार के सपने
- उन्मूलित वृक्ष
- उपालम्भ
- उलहना
- उल्लास का क्षण
- उड़ने दे घनश्याम गगन में
- उस प्रभात, तू बात न माने
- ऊषा
- ऊषा के सँग, पहिन अरुणिमा
- एक तुम हो
- ओ तृण-तरु गामी
- और संदेशा तुम्हारा बह उठा है
- क्रन्दन
- कल-कल स्वर में बोल उठी है
- कलेजे से कहो
- क्या-क्या बीत रही है
- क्या सावन, क्या फागन
- कितनी मौलिक जीवन की द्युति
- किनकी ध्वनियों को दुहराऊँ
- कुछ पतले पतले धागे
- कुलवधू का चरखा
- कुसुम झूले
- कुंज कुटीरे यमुना तीरे
- कैदी और कोकिला
- कैदी की भावना
- कैसे मानूँ तुम्हें प्राणधन
- कैसी है पहिचान तुम्हारी
- कोमलतर वन्दीखाना
- कौन? याद की प्याली में
- खोने को पाने आये हो
- गति-दाता
- गंगा की विदाई
- गाली में गरिमा घोल-घोल-गीत
- गिरि पर चढ़ते, धीरे-धीरे
- गीत (१)
- गीत (२)
- गीत (३)
- गीत (४)
- गुनों की पहुँच के
- गो-गण सँभाले नहीं जाते मतवाले नाथ
- गोधूली है
- घर मेरा है
- चल पडी चुपचाप सन-सन-सन हुआ
- चले समर्पण आगे-आगे
- चलो छिया-छी हो अन्तर में
- चाँदी की रात
- चोरल
- छबियों पर छबियाँ बना रहा बनवारी
- छलिया
- जब तुमने यह धर्म पठाया
- जबलपुर जेल से छूटते समय
- जलना भी कैसी छलना है-
- महमानी
- जो न बन पाई तुम्हारे
- जोड़ी टूट गई
- झरना
- झंकार कर दो
- झूला झूलै री
- टूटती जंजीर
- तर्पण का स्वर
- तरुणई का ज्वार
- तान की मरोर
- तारों के हीरे गुमे
- तुम न हँसो
- तुम भी देते हो तोल तोल
- तुम मन्द चलो
- तुम्हारा चित्र
- तुम्हारा मिलन
- तुम्हारे लेखे
- तुम्हीं क्या समदर्शी भगवान
- तुही है बहकते हुओं का
- तेरा पता
- दृग-जल-जमुना
- दृढ़व्रत
- दाईं बाजू
- दीप से दीप जले
- दुर्गम हृदयारण्य दण्ड का
- दूध की बूँदों का अवतरण
- दूधिया चाँदनी साँवली हो गई
- दूबों के दरबार में
- दूर गई हरियाली
- दूर न रह, धुन बँधने दे
- दूर या पास
- धमनी से मिस धड़कन की
- धरती तुझसे बोल रही है
- ध्वनि बिखर उठी
- धूम्र-वलय
- नज़रों की नज़र उतारूँगा
- नव स्वागत
- नन्हे मेहमान
- न्याय तुम्हारा कैसा
- नाद की प्यालियों, मोद की ले सुरा
- नीलिमा के घर
- पत्थर के फर्श, कगारों में
- पत्थर के फर्श, कगारों में
- पतित
- पथ में
- पर्वत की अभिलाषा
- प्यारे भारत देश
- पास बैठे हो
- पुतलियों में कौन
- पुष्प की अभिलाषा
- फूल की मनुहार
- बदरिया थम-थमकर झर री
- बलि-पन्थी से
- बसंत मनमाना
- बीजुरी काजल आँज रही-गीत
- बेचैनी
- बेटी की बिदा
- बोल तो किसके लिए मैं
- बोल नये सपने
- बोल राजा, बोल मेरे
- बोल राजा, स्वर अटूटे
- बोलो कहाँ रहें
- भाई, छेड़ो नही, मुझे
- भूल है आराधना का
- मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी
- मत गाओ
- मत झनकार जोर से
- गीत
- जलियाँ वाला की बेदी
- जवानी
- जहाँ से जो ख़ुद को
- जागना अपराध
- जाड़े की साँझ
- जिस ओर देखूँ बस
- जीवन-जीवन यह मौलिक
- मत ढूँढ़ो कलियों में अपने अपवादों को-गीत
- मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक
- मधु-संदेशे भर-भर लाती
- मन की साख
- मन धक-धक की माला गूँथे
- मृदंग
- महलों पर कुटियों को वारो
- माधव दिवाने हाव-भाव
- मार डालना किन्तु क्षेत्र में
- मीर
- मुक्ति का द्वार
- मूरख कहानी
- मूर्छित सौरभ
- मूर्त्ति रहेगी भू पर
- मैं अपने से डरती हूँ सखि
- मैं नहीं बोला, कि वे बोला किये
- मैंने देखा था, कलिका के
- यमुना तट पर
- यह अमर निशानी किसकी है?
- यह आवाज
- यह उत्सव है
- यह किसका मन डोला
- यह चरण ध्वनि धीमे-धीमे
- यह तो करुणा की वाणी है
- यह बरसगाँठ
- यह बारीक खयाली देखी
- यह लाशों का रखवाला
- युग और तुम
- युग-ध्वनि
- युग-धनी
- युग-पुरुष
- ये अनाज की पूलें तेरे काँधें झूलें
- ये प्रकाश ने फैलाये हैं पैर
- ये वृक्षों में उगे परिन्दे
- यौवन का पागलपन
- राष्ट्रीय झंडे की भेंट
- रोटियों की जय
- लड्डू ले लो
- लक्ष्य-भेद के उतावले तीर से
- लाल टीका
- लूँगी दर्पण छीन
- लौटे
- वरदान या अभिशाप
- वर्षा ने आज विदाई ली
- वृक्ष और वल्लरी
- वह टूटा जी, जैसा तारा
- वह संकट पर झूल रहा है
- वायु
- विदा
- वीणा का तार
- वे चरण
- वेणु लो, गूँजे धरा
- वे तुम्हारे बोल
- सखि कौन
- सजल गान, सजल तान
- समय की चट्टान
- समय के समर्थ अश्व
- समय के साँप
- संध्या के बस दो बोल सुहाने लगते हैं
- सिपाही
- सिर पर पाग, आग हाथों में
- सेनानी
- सेनानी से
- सौदा
- सुलझन की उलझन है
- सुनकर तुम्हारी चीज हूँ
- सूझ का साथी
- स्मृति का वसन्त
- स्वागत
- हृदय
- हरा हरा कर, हरा
- हरियालेपन की साध
- हाय
- हाँ, याद तुम्हारी आती थी
- हिमालय पर उजाला
- हे प्रशान्त, तूफान हिये
- हौले-हौले, धीरे-धीरे
माखनलाल चतुर्वेदी के अवॉर्ड्स और सम्मान
- साल 1973 में, उस समय के हिंदी लेखन में सबसे बड़ा ‘देव पुरस्कार’ माखनलाल जी को ‘हिम किरिटिनी’ पर दिया गया था।
- साल 1958 में जब साहित्य अकादमी पुरस्कार की स्थापना हुई, उस समय दादा को ‘हिमतरंगिणी’ के लिए हिंदी लेखन का प्रमुख पुरस्कार दिया गया था।
- साल 1973 में भारत सरकार ने ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित किया। 10 सितंबर 1979 को माखनलाल जी ने राजभाषा संविधान संशोधन विधेयक को चुनौती देते हुए यह सम्मान वापस कर दिया, जिसने सार्वजनिक भाषा हिंदी को प्रभावित किया।
- 14 जनवरी 1985 को, एक भारतीय आत्मा माखनलाल चतुर्वेदी का एक नियमित नागरिक सम्मान समारोह, खंडवा में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा समन्वयित किया गया था। इस दीप्तिमान समारोह में तत्कालीन राज्यपाल श्री हरि विनायक पाटस्कर और मुख्यमंत्री पं द्वारकाप्रसाद मिश्र तथा प्रेरक हिन्दी निबंधकार उपलब्ध थे।
- उन्हीं के नाम पर भोपाल का माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय स्थापित किया गया है। 1955 में उन्हें उनके पद्य वर्गीकरण ‘हिमतरंगिणी’ के लिए हिंदी में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ प्रदान किया गया था।
माखनलाल चतुर्वेदी जयंती कब है?
4 अप्रैल को प्रसिद्ध हिंदी कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी की जयंती मनाई जाती है, उनका जन्म आज ही के दिन 1889 में हुआ था। वे भारत के एक प्रसिद्ध कवि होने के साथ-साथ एक उत्कृष्ट लेखक और पत्रकार थे, जिनकी रचनाएँ बहुत लोकप्रिय हुईं
माखनलाल चतुर्वेदी का निधन –
माखनलाल चतुर्वेदी जी की मृत्यु 80 वर्ष की आयु में इस महान साहित्यकार का निधन 30 जनवरी, 1968 को हो गया।
FAQ
मध्य प्रदेश के महान साहित्यकार श्री माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म कहां हुआ था?
मध्य प्रदेश के महान साहित्यकार श्री माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1889 को मध्य प्रदेश के बवई नामक गाँव में हुआ था।
माखनलाल चतुर्वेदी का उपनाम क्या है?
माखनलाल चतुर्वेदी को भारतीय आत्मा नाम के उपनाम से ख्याति प्राप्त है।
माखनलाल चतुर्वेदी जी की मृत्यु कब हुई?
माखनलाल चतुर्वेदी जी की मृत्यु 80 वर्ष की आयु में इस महान साहित्यकार का निधन 30 जनवरी, 1968 को हो गया।
माखनलाल चतुर्वेदी के माता-पिता का क्या नाम था?
पिता का नाम नंद लाल चतुर्वेदी था और इनकी माता का नाम सुंदरबाई था।
एक भारतीय आत्मा के नाम से कौन प्रसिद्ध है?
माखनलाल चतुर्वेदी
माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म स्थान क्या है?
बाबई गांव ,होशंगाबाद जिला, मध्य प्रदेश
माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म कब और कहां हुआ था और मृत्यु कब हुई?
पंडित जी का जन्म 4 अप्रैल 1889 को मध्य प्रदेश के बवई नामक गाँव में हुआ थाऔर माखनलाल चतुर्वेदी जी की मृत्यु 80 वर्ष की आयु में इस महान साहित्यकार का निधन 30 जनवरी, 1968 को हो गया।
माखनलाल चतुर्वेदी की भाषा शैली क्या थी?
माखनलाल चतुर्वेदी की भाषा शैली ओजपूर्ण भावात्मक थी?
माखनलाल चतुर्वेदी की प्रमुख रचनाएं बताइए?
चतुर्वेदी जी की कृतियों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार हैं-
काव्य संग्रह– युग चरण, समर्पण, हिमकिरीटनी, वेणु लो गूंजें धरा।
स्मृतियां- संतोष, बंधन-सुख
कहानी संग्रह- कला का अनुवाद
निबंध संग्रह- साहित्य देवता
नाट्य रचना- कृष्णार्जुन युद्ध
माखनलाल चतुर्वेदी की पत्नी का क्या नाम था?
ग्यारसी बाई
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अंतिम कुछ शब्द –
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