बिरजू महाराज  का जीवन परिचय, पत्नी , आयु, परिवार ,निधन , मृत्यु (Birju Maharaj Biography in Hindi,  Kathak Dancer ,Age, Family, Marriage , Wife , death ,passed away )

बिरजू महाराज प्रसिद्द कथक डांसर होने के साथ शास्त्रीय गायक ,कोरियोग्राफर भी हैं। वह श्री अचन महाराज के इकलौते बेटे और शिष्य थे . पूरी दुनिया में भारतीय कथक नृत्य का जाना-पहचाना चेहरा थे । उन्होंने कई देशों में परफॉर्म किया था । पंडित बिरजू महाराज का 16 जनवरी 2022 को दिल के दौरे कारण निधन हो गया।

वह ठुमरी, दादरा, भजन और ग़ज़लों पर एक मजबूत पकड़ के साथ एक अद्भुत गायक भी थे । उन्होंने अपना पहला प्रदर्शन सात साल की उम्र में दिया था।

बहुत कम उम्र में कथक से परिचय हुआ, बिरजू ने भारत के सबसे कठिन शास्त्रीय नृत्यों में से एक की बारीकियों में महारत हासिल की।

बिरजू महाराज को कला के अपने जुनून के अलावा, बिरजू महाराज को कारों का भी शौक है। उन्होंने एक बार अपने एक साक्षात्कार में उल्लेख किया था कि वह एक मैकेनिक बन जाते, यदि उनके नृत्य कौशल पर किसी का ध्यान नहीं जाता।

आज भी वह गैजेट्स के बहुत बड़े फैन हैं। उनका पसंदीदा शगल टेलीविजन सेट और मोबाइल फोन जैसे गैजेट्स को तोड़ना और उन्हें पहले की तरह पुनर्व्यवस्थित करना है।

79 वर्षीय दिग्गज हॉलीवुड फिल्में देखना भी पसंद करते हैं। उनके पसंदीदा एक्शन नायकों में, जैकी चैन और सिल्वेस्टर स्टेलोन को सबसे अधिक स्थान मिलते हैं।

बिरजू महाराज के पांच बच्चे हैं- दो बेटे और तीन बेटियां। उनके पांच बच्चों में दीपक महाराज, जय किशन महाराज और ममता महाराज प्रमुख कथक नर्तक हैं। बिरजू महाराज की पत्नी का 15 साल पहले निधन हो गया था।

बिरजू महाराज का जीवन परिचय

Table of Contents

असली नाम ( Real name) पंडित बृजमोहन मिश्रा
निक नेम ( Nick name)बिरजू महाराज
जन्म तारीख (Date of birth)4 फरवरी 1938
उम्र( Age)83 साल (मृत्यु के समय )
जन्म स्थान (Place of born )लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत
मृत्यु की तारीख Date of Death16 जनवरी 2022
मृत्यु की जगह (Death Place )दिल्ली, भारत
मृत्यु का कारण (Death Reason )हार्ट अटैक
शिक्षा (Education )शास्त्रीय नृत्य और गायन में डॉक्टरेट डिग्री
कॉलेज (Collage )बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी
खैरागढ़ विश्वविद्यालय, खैरागढ़
गृहनगर (Hometown)दिल्ली, भारत
नागरिकता(Nationality)भारतीय
धर्म (Religion)हिन्दू
जाति (Cast )ब्राह्मण
पेशा (Occupation)शास्त्रीय नर्तक, संगीतकार, शास्त्रीय गायक
आँखों का रंग (Eye Color)काला
बालो का रंग (Hair Color )सफ़ेद एवं काला
राशि (Zodiac Sign)कुंभ राशि
बालो का रंग( Hair Color)काला एवं सफ़ेद
वैवाहिक स्थिति (Marital Status)  विवाहित

बिरजू महाराज का जन्म ( Birju Maharaj Birth )

बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी 1938 को लखनऊ घराने के प्रसिद्ध कथक प्रस्तावक जगन्नाथ महाराज के घर में हुआ था। बिरजू के पिता, लोकप्रिय रूप से आचन महाराज के नाम से जाने जाते थे, उन्होंने अपना अधिकांश समय युवा बिरजू, कथक के मूल सिद्धांतों को पढ़ाने में बिताया।

वह अपने पिता के साथ उन जगहों पर भी गए जहाँ उन्हें अपने कौशल का प्रदर्शन करने के लिए आमंत्रित किया गया था। नतीजतन, बिरजू ने बहुत कम उम्र में ही नृत्य सीखना शुरू कर दिया था।

उनके चाचा, लच्छू महाराज और शंभू महाराज ने भी उन्हें कथक सीखने में मार्गदर्शन किया। 1947 में, एक विनाशकारी घटना ने बिरजू तब टूट गए जब उन्होंने अपने पिता को खो दिया।

अच्चन महाराज के निधन के बाद, उनका परिवार बॉम्बे चला गया, जहाँ बिरजू ने अपने चाचाओं से कथक की बारीकियाँ सीखना जारी रखा। तेरह साल की उम्र में उन्हें संगीत भारती में पढ़ाने के लिए दिल्ली आमंत्रित किया गया था।

बिरजू महाराज का शुरुआती जीवन ( Early Life )

बिरजू महाराज ने अपने जीवन के अंतिम कई दशक दिल्ली में बिताए हैं। लेकिन एक युवा लड़के के लिए, लखनऊ से दिल्ली जाना काफी डराने वाला था, जैसा कि उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह अक्सर दिल्ली की गलियों में खो जाते थे जब तक कि उन्होंने रीगल सिनेमा को अपना नियमित मील का पत्थर नहीं बना लिया।

शुरुआती दिनों में अपने घर का रास्ता याद करने के लिए पहले पहले वह रीगल सिनेमा तक जाते थे फिर वहां से अपने घर या अपने संस्थान के लिए निकलते थे । लेकिन अब समय के साथ उनको अपने घर का रास्ता याद हो गया था क्योकि उन्होंने दिल्ली समय बिताया। वह अपना ज्यादातर समय दिल्ली में अपने घर पर बिताना पसंद करते थे ।

बिरजू महाराज का परिवार ( Birju Maharaj Family )

पिता का नाम (Father)अच्चन महाराज
माता का नाम (Mother)अम्मा जी महाराज
पत्नी का नाम (Wife ) नाम ज्ञात नहीं ((मृतक)
बेटी का नाम (Daughter )कविता महाराज, अनीता महाराज, ममता महाराज
बेटे का नाम (Son ) जयकिशन महाराज, दीपक महाराज

बिरजू महाराज का शिक्षक के रूप में करियर (Career as Teacher )

बिरजू महाराज ने महज 13 साल की उम्र में एक शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया था। संगीत भारती में एक सफल कार्यकाल के बाद, जहां उन्होंने अपना करियर शुरू किया, उन्होंने प्रसिद्ध भारतीय कला केंद्र में पढ़ाया।

जल्द ही, उन्हें संगीत नाटक अकादमी के कथक केंद्र में शिक्षकों की एक टीम का नेतृत्व करने का अवसर प्रदान किया गया। कई सालो तक कथक केंद्र में प्रमुख के रूप में सेवा देने के बाद, वह 1998 में 60 वर्ष की आयु में रिटायर्ड हुए।

बिरजू महाराज के डांस स्कूल की शुरुआत

अपना खुद का डांस स्कूल शुरू करना बिरजू महाराज का हमेशा से एक सपना और महत्वाकांक्षा थी। साल 1998 में रिटायर्ड अपना एक डांस स्कूल खोलने और बिना किसी देरी के बहुत जल्द उन्होंने इसे खोल लिया। उनके डांस स्कूल में, छात्रों को कथक सिखाने के अन्य कलाये जैसे वाद्य संगीत, योग, पेंटिंग, संस्कृत, नाटक, मंच कला में ट्रेनिंग भी दी जाती थी ।

बिरजू महाराज की शास्त्रीय गायक के रूप में शुरुआत

चूंकि संगीत किसी भी नृत्य शैली का एक अभिन्न अंग है, बिरजू महाराज ने सात साल की उम्र में संगीत सीखना शुरू कर दिया था। वह ठुमरी, दादरा, भजन और ग़ज़लों – भारतीय संगीत के रूपों पर एक मजबूत पकड़ के साथ एक अद्भुत गायक हैं। उन्होंने लेखन में भी हाथ आजमाया है और कुछ कविताएँ भी लिखी हैं। उन्होंने कई बैले रचनाओं के लिए गीत भी लिखे हैं।

बिरजू महाराज का फ़िल्मी करियर

पंडित बिरजू महाराज भी एक प्रसिद्ध फिल्मी हस्ती हैं। प्रसिद्ध सत्यजीत रे द्वारा निर्देशित फिल्म ‘शतरंज के खिलाड़ी’ में बिरजू महाराज ने दो नृत्य दृश्यों की रचना की थी, जिसके लिए उन्होंने अपनी आवाज भी दी थी।

2002 की फिल्म ‘देवदास’ में, बिरजू ने ‘काहे छेड़ मोहे’ गाने को कोरियोग्राफ किया था। उन्होंने ‘डेढ़ इश्किया’, ‘उमराव जान’ और ‘बाजीराव मस्तानी’ जैसी प्रसिद्ध फिल्मों में कोरियोग्राफर के रूप में भी काम किया है।

साल 2013 में जब उन्होंने कमल हासन अभिनीत फिल्म ‘विश्वरूपम’ के गीत ‘उन्नई कानाथा नान’ को कोरियोग्राफ किया, तब उन्होंने अपनी दक्षिण भारतीय फिल्म की शुरुआत की।

बिरजू महाराज के पुरस्कार ( Birju Maharaj Awards )

  • पंडित बिरजू महाराज ने प्रतिष्ठित पद्म विभूषण (1986) सहित कई सम्मान और पुरस्कार जीते हैं।
  • उन्हें मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कालिदास सम्मान से सम्मानित किया गया है।
  • उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार और संगम कला पुरस्कार सहित अन्य पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है।
  • 2002 में, उन्हें लता मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • पंडित बिरजू महाराज को खैरागढ़ विश्वविद्यालय और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद उपाधि से भी नवाजा जा चुका है।
  • 2012 में, उन्होंने फिल्म ‘विश्वरूपम’ के लिए सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता।
  • उन्होंने उसी फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफर के लिए तमिलनाडु राज्य फिल्म पुरस्कार भी जीता।
  • 2016 में, उन्होंने फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ के लिए सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता।

बिरजू महाराज का निधन (Birju Maharaj Death )

कथक के दिग्गज पंडित बिरजू महाराज का 16 जनवरी 2022 की रविवार को देर रात दिल्ली में उनके घर पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 83 वर्ष के थे।

महाराज-जी, जैसा कि वे लोकप्रिय थे, उनके परिवार और शिष्यों से घिरे हुए थे। उनके परिवारों ने बताया कि रात के खाने के बाद वे अंताक्षरी खेल रहे थे, तभी अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई।

भारत के सबसे प्रसिद्ध कलाकारों में से एक, कथक प्रतिपादक, गुर्दे की बीमारी से पीड़ित थे और उनका डायलिसिस उपचार चल रहा था। उनकी पोती ने कहा कि संभवत: कार्डियक अरेस्ट से उनकी मृत्यु हो गई।

FAQ

बिरजू महाराज कौन है ?

बिरजू महाराज प्रसिद्द कथक डांसर हैं। वह श्री अचन महाराज के इकलौते बेटे और शिष्य थे . पूरी दुनिया में भारतीय कथक नृत्य का जाना-पहचाना चेहरा थे । उन्होंने कई देशों में परफॉर्म किया था । पंडित बिरजू महाराज का 16 जनवरी 2022 को दिल के दौरे कारण निधन हो गया।

बिरजू महाराज का निधन कैसे हुआ ?

कथक के दिग्गज पंडित बिरजू महाराज का 16 जनवरी 2022 की रविवार को देर रात दिल्ली में उनके घर पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 83 वर्ष के थे।

बिरजू महाराज कौन-कौन से वाद्य बजाते थे ? 

बिरजू महाराज सितार, गिटार, हारमोनियम, बाँसुरी इत्यादि वाद्य यंत्र बजाते थे

लखनऊ और रामपुर से बिरजू महाराज का क्या संबंध है ? 

बिरजू महाराज लखनऊ में जन्मे थे और रामपुर में बिरजू महाराज ने अपने जीवन का ज्यादातर समय बिताया।

किनके साथ नाचते हुए बिरजू महाराज को पहली बार प्रथम पुरस्कार मिला ? 

शम्भू महाराज चाचाजी एवं बाबूजी के साथ नाचते हुए उन्होंने अपना पहला पुरस्कार जीता था ?

नृत्य की शिक्षा के लिए पहले-पहल बिरजू महाराज किस संस्था से जुड़े और वहाँ किनके संपर्क में आए ? 

नृत्य की शिक्षा के लिए पहले वह दिल्ली में हिन्दुस्तानी डान्स म्यूजिक से जुड़ गए और वहाँ निर्मला जी जोशी से मिले । 

बिरजू महाराज की कला के बारे में आप क्या जानते हैं ? समझाकर लिखें। 

बिरजू महाराज प्रसिद्द कथक डांसर होने के साथ शास्त्रीय गायक ,कोरियोग्राफर भी हैं। वह श्री अचन महाराज के इकलौते बेटे और शिष्य थे . पूरी दुनिया में भारतीय कथक नृत्य का जाना-पहचाना चेहरा थे । उन्होंने कई देशों में परफॉर्म किया था

बिरजू महाराज अपना सबसे बड़ा जज किसको मानते थे ? 

बिरजू महाराज अपना सबसे बड़ा जज अपनी माँ को मानते थे। जब वे नाचते थे और अम्मा देखती थी तब वे अम्मा से अपनी कमी या अच्छाई के बारे में पूछा करते थे। उसने बाबूजी से तुलना करके इनमें निखार लाने का काम किया । 

संगीत भारती में बिरजू महाराज की दिनचर्या क्या थी ?

संगीत भारती में प्रारंभ में 250 रु० मिलते थे। उस समय दरियागंज में रहते थे । वहाँ से प्रत्येक दिन पाँच या नौ नंबर का बस पकड़कर संगीत भारती पहुँचते थे। संगीत भारती में इन्हें प्रदर्शन का अवसर कम मिलता था। अंततः दुःखी होकर नौकरी छोड़ दी। 

अपने विवाह के बारे में बिरजू महाराज क्या बताते हैं ? 

बिरजू महाराज की शादी 18 साल की उम्र में हुई थी। उस समय विवाह करना महाराज अपनी गलती मानते हैं । लेकिन बाबूजी की मृत्यु के बाद माँ घबराकर जल्दी में शादी कर दी । शादी को नुकसानदेह मानते हैं। विवाह की वजह से नौकरी करते रहे। 

बिरजू महाराज के गुरु कौन थे ? उनका संक्षिप्त परिचय दें। 

 बिरजू महाराज के गुरु उनके बाबूजी थे । वे अच्छे स्वभाव के थे । वे अपने दु:ख को व्यक्त नहीं करते थे। उन्हें कला से बेहद प्रेम था । जब बिरजू. महाराज साढ़े नौ साल के थे, उसी समय बाबूजी की मृत्यु हो गई। महाराज को तालीम बाबूजी ने ही दिया ।

शम्भू महाराज के साथ बिरजू महाराज के संबंध पर प्रकाश डालिए। 

शंभू महाराज के साथ बिरजू महाराज बचपन में नाचा करते थे। आगे भारतीय कला केन्द्र में उनका सान्निध्य मिला । शम्भू महाराज के साथ सहायक रहकर कला के क्षेत्र में विकास किया । शम्भू महाराज उनके चांचा थे। बचपन से महाराज को उनका मार्गदर्शन मिला।

रामपुर के नवाब की नौकरी छूटने पर हनुमान जी को प्रसाद क्यों चढ़ाया ? 

रामपुर के नवाब की नौकरी छूटने पर हनुमान जी को प्रसाद चढ़ाया क्योंकि महाराज जी छह साल की उम्र में नवाब साहब के यहाँ नाचते थे। अम्मा परेशान थी। बाबूजी नौकरी छूटने के लिए हनुमान जी का प्रसाद माँगते थे। नौकरी से जान छूटी इसलिए हनुमान जी को प्रसाद चढ़ाया गया। 

बिरजू महाराज की अपने शार्गिदों के बारे में क्या राय है ? 

बिरजू महाराज अपने शिष्या रश्मि वाजपेयी को भी अपना शार्गिद बताते हैं। वे उन्हें शाश्वती कहते हैं। इसके साथ ही वैरोनिक, फिलिप, मेक्लीन, टॉक, तीरथ प्रताप प्रदीप, दुर्गा इत्यादि को प्रमुख शार्गिद बताये हैं। वे लोग तरक्की कर रहे हैं, प्रगतिशील बने हुए हैं, इसकी भी चर्चा किये हैं।

 बिरजू महाराज के जीवन में सबसे दुःखद समय कब आया ? उससे संबंधित प्रसंग का वर्णन कीजिए।

जब महाराज जी के बाबूजी की मृत्यु हुई तब उनके लिए बहुत दुखदायी समय व्यतीत हुआ । घर में इतना भी पैसा नहीं था कि दसवाँ किया जा सके । इन्होंने दस दिन के अन्दर दो प्रोग्राम किए । उन दो प्रोग्राम से 500रु० इकट्ठे हुए तब दसवाँ और तेरह की गई। ऐसी हालत में नाचना एवं पैसा इकट्ठा करना महाराजजी के जीवन में दुःखद समय आया। 

पुराने और आज के नर्तकों के बीच बिरजू महाराज क्या फर्क पाते हैं ? 

 पुराने नर्तक कला प्रदर्शन करते थे। कला प्रदर्शन शौक था । साधन के अभाव में भी उत्साह होता था। कम जगह में गलीचे पर गड्ढा, खाँचा इत्यादि होने के बावजूद बेपरवाह होकर कला प्रदर्शन करते थे। लेकिन आज के कलाकार मंच की छोटी-छोटी गलतियों को ढूँढ़ते हैं। चर्चा का विषय बनाते हैं । 

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अंतिम कुछ शब्द –

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