विजय कुमार कार्णिक का जीवन परिचय,जीवनी भुज दी प्राइड ऑफ़ इंडिया ,मूवी, कहानी, फिल्म भुज, उम्र, धर्म, जाति, मृत्यु, (Vijay Kumar Karnik Biography,Story in Hindi,bhuj the pride of india,Bhuj Movie,cast ,1971 War,bhuj ,Medal)
विजय कार्णिक भारतीय वायु सेना में पायलट थे। उन्हें 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उनके नेतृत्व के लिए जाना जाता है। भुज हवाई पट्टी 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में हवाई हमलों में नष्ट हो गई थी, जिसमें पाकिस्तानी हमलावरों ने नैपलम बम गिराए थे।
भुज हवाई अड्डे के हमले की तुलना पर्ल हार्बर पर हमले से की जाती है। 14 दिनों में हवाई क्षेत्र पर 92 बमों और 22 रॉकेटों के हमलों के साथ 35 बार छापेमारी की गई। कार्णिक ने स्थानीय क्षेत्रों की 300 महिलाओं की मदद से 3 दिनों के भीतर भुज हवाई अड्डे का पुनर्निर्माण किया।
विजय कार्णिक का जीवन परिचय
नाम ( Name) | विजय कुमार कार्निक |
प्रसिद्धी का कारण (Famous For ) | 1971 के भारत-पाक युद्ध में भुज एयरबेस के प्रभारी होने के नाते |
जन्म (Birth) | 6 नवंबर 1939 |
उम्र (Age ) | 82 साल |
जन्म स्थान (Birth Place) | नागपुर, महाराष्ट्र |
गृहनगर (Hometown) | नागपुर, महाराष्ट्र |
शिक्षा Education Qualification | विज्ञान में स्नातक की डिग्री |
स्कूल (School ) | नागपुर का एक स्थानीय स्कूल |
कॉलेज (College) | नागपुर विश्वविद्यालय, वर्धा |
राष्ट्रीयता (Nationality) | भारतीय |
धर्म (Religion) | हिन्दू |
राशि (Zodiac Sig) | वृश्चिक |
जाति (Caste ) | महाराष्ट्रियन चंद्रसेनिया कायस्थ प्रभु (CKP) समुदाय |
कद (Height) | 5 फीट 8 इंच |
आंखों का रंग (Eye Colour) | काला |
बालों का रंग (Hair Colour) | सफ़ेद |
पेशा (Profession) | रिटायर्ड इंडियन एयर फोर्स ऑफिसर |
सर्विस / ब्रांच ( Army Service/Branch) | भारतीय वायु सेना |
रैंक (Rank) | विंग कमांडर |
सर्विस के साल (Service-Years) | सन 1962 से 1986 तक |
यूनिट (Unit) | 6 स्क्वाड्रन |
युद्ध/लड़ाई (Wars/Battles) | • चीन भारतीय युद्ध (1962) • भारत-पाकिस्तान युद्ध (1965) • भारत-पाकिस्तान युद्ध (1971) |
वैवाहिक स्थिति (Marital Status) | विवाहित |
शादी की तारीख (Marriage Date ) | 20 फरवरी 1965 |
विजय कार्णिक का शुरूआती (Early Life )
विजय कार्णिक का जन्म 6 नवंबर 1939 को पिता श्रीनिवास कार्णिक(एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी) एवं माँ ताराबाई कार्णिक के यहां महाराष्ट्र के नागपुर गांव में हुआ था।विजय एक महाराष्ट्रियन चंद्रसेनिया कायस्थ प्रभु (CKP) समुदाय से ताल्लुक रखते है। विजय के अलावा उनके परिवार में तीन भाई विनोद, लक्ष्मण एवं अजय एवं एक बहन वसंती भी है।
इनकी शादी 20 फरवरी 1965 को उषा कार्णिक(शहनाज हुसैन फ्रेंचाइजी की मालिक) से हुई। इनके बेटे का नाम परेश कार्णिक है, जो की द टाइम्स ग्रुप कंपनी में काम करता है। इनकी बेटी का नाम शलाका कार्णिक है, जो की वीकैनडूइट एक थिएटर ग्रुप में निदेशक है
विजय कार्णिक की शिक्षा ( Education)
विजय कार्णिक ने अपनी शुरूआती शिक्षा नागपुर के एक स्थानीय स्कूल से प्राप्त की। उसके बाद इन्होने आगे की पढ़ाई के लिए वर्धा शहर में स्थित नागपुर विश्वविद्यालय में दाखिला ले लिए जहा से इन्होने विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
विजय कार्णिक परिवार (Family)
पिता का नाम (Father’s Name) | श्रीनिवास कार्णिक |
माता का नाम (Mother’s Name) | ताराबाई कार्णिक |
भाई का नाम (Brother’s Name) | विनोद, लक्ष्मण एवं अजय |
बहन का नाम ( Sister’s Name) | वसंती |
पत्नी का नाम (Wife’s Name) | उषा कार्णिक |
बेटी का नाम (Daughter ’s Name) | शलाका कार्णिक |
बेटे का नाम (Son’s Name) | परेश कार्णिक |
विजय कार्णिक करियर (Career)
विजय कार्णिक , 12 मई 1962 को भारतीय वायुसेना में शामिल किये गए थे। उन्होंने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भुज में एक स्क्वाड्रन लीडर के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी ।
विजय कार्णिक ने साल 1962 के दौरान भारत और चीन युद्ध की लड़ाई और 1965 में भारत और पाकिस्तान युद्ध की लड़ाई में हिस्सा लिया था।
कार्णिक को विशेष रूप से 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में दिए गए उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है। साल 1967 में उन्हें पुणे में 6 स्क्वाड्रन में तैनात किया गया था ,इसके बाद उन्हें 01 अक्टूबर 1985 को विंग कमांडर के रूप में प्रोमोशन दिया गया और 14 अक्टूबर 1986 को विजय कार्णिक अपनी भारतीय वायुसेना के नौकरी से से रिटायर हो गए थे ।
- जानिए कारगिल युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा का योगदान
- जानिए क्यों शेर शाह के नाम से जानें जाते है कैप्टन विक्रम बत्रा
विजय कार्णिक 1971 की लड़ाई, कहानी (Vijay Karnik 1971 War, Story)
साल 1971 में भारत पाकिस्तान के बीच जो युद्द छिड़ा था जिसे बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के नाम से भी जाना जाता था। पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन को ऑपरेशन चंगेज खान नाम दिया था।
यह युद्द 3 दिसम्बर 1971 को शुरू हुआ था और 16 दिसंबर 1971को समाप्त हो गया था इस युद्द में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर विजय कुमार कार्निक एवं भुज की स्थानीय 300 महिलाओ ने निभाई थी। जब युद्ध समाप्त हो गया, तो हवाई पट्टी के पुनर्निर्माण को “भारत का पर्ल हार्बर मोमेंट” नाम दिया गया।
हवाई हमले –
3 दिसम्बर 1971 को सर्दियों के मौसम में भुज वायु सेना स्टेशन पर 14 दिनों में कुल 35 बार हमला किया गया था । इसका मतलब है कि दिन में दो बार से भी ज्यादा हमला किया जा रहा था । अकेले भुज में 92 से भी ज्यादा भयंकर वायु हमले , बमबारी और इन हमलो में 22 रॉकेटों का इस्तेमाल किया गया था।
मुख्य रूप से भुज ,भारतीय वायु सेना के लिए बहुत महत्वपूर्ण है , क्योंकि यह पाकिस्तानी सीमा के निकट है। हालांकि, कई कारणों से उस समय भुज की भारतीय वायु सेना के पास बहुत कम स्टाफ था।
विनाशकारी हमला –
सबसे विनाशकारी हमला 8 दिसंबर की शाम को हुआ था। पाकिस्तान वायु सेना के सेबर जेट विमानों के एक स्क्वाड्रन ने हवाई पट्टी पर हमला किया, जिसमें 14 से अधिक नैपलम बम गिराए गए।
उस समय किसी भी वायु सेना द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली अन्य दूसरी मिसाइलों और गोला-बारूद के तुलना में नैपलम बमों को इस तरह बनाया गया था की जहा पर भी नैपलम बम से हमला किया जायेगा वो इलाका पूरी तरह जलकर खाक हो जायेगा क्योकि नैपलम बम आग का सेलाभ पैदा करता था। भुज हमले से पहले नैपलम बम अमेरिका द्वारा वियतनाम युद्ध में उपयोग किए गए थे।
नैपलम बम से हमले करने का मतलब था कि जब भी बम जमीन से टकराएगा तो कोई बड़ा विस्फोट नहीं होगा इसके बजाय जिस जगह वो बम गिरेगा उस जगह को जला देगा और बस सब कुछ भस्म कर देगा। परिणामी आग घंटों तक जलती रहेगी, भले ही आग को बुझाने के लिए कितने ही बढ़िया उपकरण इस्तेमाल किये जाये और बेशक, हमारे पास तब आग बुझाने के लिए बढ़िया उपकरण नहीं थे।
कहने की जरूरत नहीं है, भुज की हवाई पट्टी पूरी तरह बर्बाद हो गई थी जिसका मतलब था कि अब कोई भी विमान उड़ान नहीं भर सकता था ।
300 महिलाओ की भूमिका-
भारतीय वायु सेना के लिए महत्वपूर्ण हवाई क्षेत्र होने के बावजूद,भुज में तैनात दस्ते में कम स्टाफ था। इसके अलावा, हमले के बाद, वायु सेना के लिए हवाई पट्टी के पुनर्निर्माण के लिए अपने इंजीनियरों और निर्माण दल को भेजना संभव नहीं था। इसलिए स्क्वाड्रन लीडर विनय कार्णिक को मदद के लिए माधापुर नाम के एक स्थानीय गांव का रुख करना पड़ा।
माधवपुर गांव की 300 महिलाएं आईं और हवाई पट्टी का पूरी तरह से पुनर्निर्माण किया, जिससे भारतीय वायु सेना को जवाबी हमला करने में मदद मिली।
चुनौतियाँ–
हवाई पट्टी को दुबारा बनाना कोई आसान काम नहीं था। इसे 72 घंटों के भीतर ही बनाना था और इसे सही से बनाना था। वायु सेना के जहाजों को बिना किसी समस्या और दुर्घटना के उड़ान भरने और सुरक्षित रूप से उतरने के लिए एक बढ़िया रनवे की जरूरत होती है। रनवे के ऊपर, हवाई पट्टी भी लंबी होनी चाहिए जिससे हवाई जहाजों को उड़ान भरने में कोई दिक्कत ना हो ।
इसके अलावा, पाकिस्तान वायु सेना लगातार आस-पास के हवाई क्षेत्रों में भी छापेमारी कर रही थी। इसलिए, महिलाओं को हवाई क्षेत्र के हिस्से को गाय के गोबर से ढंकना पड़ा।जिससे पाकिस्तानी सेना को 300 महिलाओ द्वारा बनाई जा रही हवाई पट्टी ना दिखाई दे।
महिलाओ की समस्या को सर्दी के मौसम ने और बढ़ा दिया था। सर्दियों के दौरान, भुज में तापमान अक्सर 5 डिग्री तक गिर जाता था।
आखिरकार, महिलाओ ने मुश्किलों का सामना करते हुए हवाई पट्टी को वापस बना दिया जिसकी बदौलत स्क्वाड्रन लीडर विनय कार्णिकअपने 2 अधिकारियों और बाकी दल के साथ हमला करने के लिए तैयार थे ।
स्क्वाड्रन लीडर विनय कार्णिक और उनके चालक दल ने भी अपने कई विमानों को पाकिस्तान द्वारा किये जा रहे छापेमारी और बमबारी से सफलतापूर्वक बचाया था ।
देशप्रेम की मिशाल–
टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ 2010 के एक साक्षात्कार के अनुसार, हवाई पट्टी पर काम करने वाली 300 महिलाओं में से एक ने कहा कि युद्ध समाप्त होने के बाद-
भारत की तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने महिलाओं को झांसी की रानी की उपाधि से सम्मानित किया था।
300 महिलाओं के समूह को 50,000 रुपये का इनाम देने की पेशकश की गयी थी ,जो उस समय के हिसाब से बहुत सारा पैसा था। हालाँकि, महिलाओं ने यह कहते हुए इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि उन्होंने जो किया, वह पैसे के लिए नहीं बल्कि अपनी देशभक्ति के कारण किया, और क्योंकि हवाई पट्टी का पुनर्निर्माण करना, देश को बचाने जैसा था।
2001 के गुजरात भूकंप के कारण पूरे हवाई क्षेत्र और हवाई पट्टी को फिर से बनाना पड़ा।
युद्द की समाप्ति –
यह युद्द 3 दिसम्बर 1971 को शुरू हुआ था और 16 दिसंबर 1971को समाप्त हो गया था
फिल्म भुज : द प्राइड ऑफ़ इंडिया
फिल्म भुज : द प्राइड ऑफ़ इंडिया की कहानी 1971 को हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर विजय कर्णिक द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के बारे में बताती है। साल 1971 में विजय कर्णिक भुज हवाई अड्डे के मेन इन्चार्ज थे जिन्होंने भुज के माधवपुर गांव की 300 महिलाओं की मदद से वायुसेना की हवाईपट्टी को मात्र 72 घंटो के अंदर दुबारा बनाया था।
भुज : द प्राइड ऑफ़ इंडिया फिल्म में भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर विजय कर्णिक की भूमिका अभिनेता अजय देवगन निभा रहे है उनके साथ फिल्म में अन्य कलाकार अभिनेता संजय दत्त, सोनाक्षी सिन्हा, नोरा फतेही, शरद केलकर, अम्मी विर्क और प्रणिता सुभाष भी हैं ।
भुज फिल्म का ट्रेलर–
फिल्म भुज : द प्राइड ऑफ़ इंडिया का ट्रेलर 12 जुलाई साल 2021 में रिलीज हो चुका है। इसे यूट्यूब पर देखा जा सकता है।
भुज फिल्म रिलीज डेट–
फिल्म भुज : द प्राइड ऑफ़ इंडिया 13 अगस्त 2021 को डिजनी प्लस हॉटस्टार के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर जारी किया जा चुका है.
विजय कार्णिक की रोचक जानकारी (Facts)
- उन्हें गोल्फ़ पसंद है, और उनका मानना है कि गोल्फ़ एक प्राचीन भारतीय खेल है
- कार्णिक नरेंद्र मोदी के प्रबल अनुयायी हैं, और वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का समर्थन करते हैं।
- जब भारत एवं पाकिस्तान 1971 युद्ध समाप्त हो गया, तो हवाई पट्टी के पुनर्निर्माण को “भारत का पर्ल हार्बर मोमेंट” नाम दिया गया।
- अगर भुज के गांव माधवपुर की 300 महिलाओ ने विजय कार्णिक का हवाईपट्टी बनाने में साथ नहीं दिया होता तो भारत यह युद्द हार जाता।
- भुज रनवे की हवाईपट्टी बिना किसी इंजीनियर मदद के गांव की महिलाओ द्वारा मात्र 72 घंटो के अंदर बनाये जाना बहुत ही आश्चर्यजनक बात है।
- 19 मार्च 2019 को, फिल्म निर्माता भूषण कुमार ने घोषणा की कि थी वह अजय देवगन के साथ मिलकर विजय कार्णिक की 1971 की वीर गाथा और कैसे उन्होंने 300 महिलाओं की मदद से भुज हवाई पट्टी का निर्माण किया, के बारे में एक फिल्म बनाने के लिए सहयोग करेंगे। फिल्म में संजय दत्त, परिणीति चोपड़ा, सोनाक्षी सिन्हा और राणा दग्गुबाती जैसे प्रसिद्ध कलाकार भी होंगे।
विजय कुमार कार्णिक नेटवर्थ (Net Worth)
साल 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबित विजय कार्णिक की अनुमानित आय लगभग 60 लाख रूपये है और अभी वो भारतीय वायुसेना से रिटायर हो चुके है और अभी उनको 30 से 35 हजार रूपये पेंशन मिलती है।
यह भी जानें :-
- जानिए पूरी कहानी ऑपरेशन ब्लू स्टार 1984 ।
- जानिए पूरी कहानी भोपाल गैस काण्ड केस स्टडी 1984
- जानिए कौन थे ऑपरेशन ब्लू स्टार 1984 में जनरैल सिंह भिंडरावाले ?
FAQ
विजय कार्णिक कौन है ?
विजय कार्णिक भारतीय वायुसेना के अधिकारी रह चुके है
विजय कार्णिक की मृत्यु कब हुई ?
विजय कार्णिक अभी जिन्दा है उनकी उम्र साल 2021 में 82 साल हो गयी है
भुज का युद्ध कब लड़ा गया था ?
भुज का युद्ध 3 दिसम्बर 1971 को शुरू हुआ था और 16 दिसंबर 1971को समाप्त हो गया था
विजय कार्णिक की डेथ कब हुई ?
विजय कार्णिक अभी तक जीवित है उनकी उम्र साल 2021 में 82 साल हो गयी है
विजय कार्णिक की जाति क्या है ?
विजय कार्णिक महाराष्ट्रियन चंद्रसेनिया कायस्थ प्रभु (CKP) समुदाय से ताल्लुक रखते है
विजय कार्णिक की कहानी क्या है ?
कार्णिक भारतीय वायु सेना में पायलट थे। उन्हें 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उनके नेतृत्व के लिए जाना जाता है
विजय कुमार कार्णिक की कहानी पर बनी फिल्म कौन सी है ?
भुज : द प्राइड ऑफ़ इंडिया
अंतिम कुछ शब्द –
दोस्तों मैं आशा करता हूँ आपको ”विजय कार्णिक का जीवन परिचय,मूवी, कहानी|Vijay Karnik Biography in Hindi”वाला Blog पसंद आया होगा अगर आपको मेरा ये Blog पसंद आया हो तो अपने दोस्तों और अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर करे लोगो को भी इसकी जानकारी दे
अगर आपकी कोई प्रतिकिर्याएँ हे तो हमे जरूर बताये Contact Us में जाकर आप मुझे ईमेल कर सकते है या मुझे सोशल मीडिया पर फॉलो कर सकते है जल्दी ही आप एक नए ब्लॉग के साथ मुलाकात होगी तब तक के लिए मेरे ब्लॉग पर बने रहने के लिए ”धन्यवाद